नर्मदा स्तुति
नमो नर्मदे माँ नमो पापहारी
गाते सभी भक्त महिमा तुम्हारी
पीके हलाहल समाधि लगाई
शिव देही से धारा स्वेद की आई
हुआ नर्मदा नाम भव ताप हारी /
नमो -------------------------//१//
हे तप की मूरत तपस्विनी नारी
मेकल सुता बन गई शिव की प्यारी
ग्राह है जलचर तुम्हारी सवारी
नमो ---------------------------//२//
उदगम तुम्हारा तपोभूमि भारी
तापस मुनि भक्तों की तरन हारी
हे गंगा भगिनी शिव जी की दुलारी
नमो ---------------------------//३//
हर नर्मदे स्वर के शब्दों से सारी
गूंज रही माई बगिया तुम्हारी
निर्झरिणी बन बह चली भक्त प्यारी
नमो -----------------------------//४//
पूरब से निःसृत हो पश्चिम में आई
कपिलधारा पत्थर को चीर बनाई
रूप हुआ दूध धारा से भारी
नमो -----------------------------//५//
सघन वन से बहती संगमर्मर में आई
धुआंधार ने तेरी महिमा है गाई
पंचवटी तेरी रचना है न्यारी
नमो---------------------------//६//
तीरे तुम्हारे मनोरम मंदिर
गान करें यश देव पुरंदर
कंकर तुम्हारे हैं शंकर पुरारी
नमो---------------------------//७//
सभी धाम तुम में बसे नर्मदेश्वेर
प्रभो ओंकारेश्वेर तथा आदित्येश्वेर
तीरे तपस्वी महामुनि झारी
नमो -----------------------------//८//
तट में हैं तीरथ है मज्जन सुखदाई
तेरी परिक्रमा से मुक्ति माई
अतुलबल प्रतापिनी रेवा कुवाँरी
नमो ------------------------------//९//
विश्व में कीर्ति तुम्हारी है छाई
अहो भाग्य सिन्धु जहाँ तू समाई
उसे तारा तुमने शरण जो तुम्हारी
नमो ------------------------------//१०//
हे सिद्धों की मैया आश्रय प्रदायिनी
मधुकर को सिद्धि देदो मोक्ष दायिनी
लीजे शरण बाँह गहिये हमारीनमो -------------------------------//११//
काव्य सृजन किसी अन्यान्य सृजनधर्मी मित्र के लिए बौद्धिक विलास अथवा रूचि मात्र हो सकता है... किन्तु उनमे से कुछ ही होते हैं जिनके लिए साहित्य ही साधना बन जाती है.. अपने इष्ट और गुरुओं के शुभाशीष का फल मानता हूँ...इन काव्य रचनाओं का सृजन, मेरे लिए एक साधना है और उनके श्री चरणों में श्रद्धा सुमन भी.. आनंद लें 'मधुकर के कुसुम' का...जो आप सभी सुधि पाठकों को अलग अलग विधा में स्तोत्र , गीत, भजन और स्तुतियों के रूप में पढ़ने को मिलेंगी .!!!
Wednesday, 31 August 2011
नर्मदा स्तुति मधुकर
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