श्री लक्ष्मी आवाहन
कृपादृष्टि माँ लक्ष्मी कीजै
वात्सल्य सुख मुझको दीजै
रुच रुच वंदनवार बनाये
गृह पावन कर कलश सजाये
अभिनन्दन के दीप जलाये
सुमनमाल स्वागत हित लाये
माँ प्रवेश मम गृह में कीजै
वात्सल्य सुख मुझको दीजै //१//
हे पद्मनि आसन पर राजो
मेरे गृह में आन विराजो
धन वैभव दे मुझे नवाजो
रमा,रूप माँ हिय में भ्राजो
भाग्य उदय माँ मेरा कीजै
वात्सल्य सुख मुझको दीजै//२//
चन्दन अगर सुगंध चढ़ाऊँ
धन सम्पति दायिनि गुण गाऊँ
कर पूजन माँ शीश झुकाऊँ
तव चरणों में बलि बलि जाऊँ
विष्णु चरण रतिमय मन कीजै
वात्सल्य सुख मुझको दीजै //
विष्णुप्रिया समृद्धि प्रदायिनि
शिव कुबेर की तुम धन दायिनि
अन्नपूर्णा तुम कात्यायिनि
हे माँ दारुण दुःख नशायिनि
मन वैभव आसख्त न कीजै
वात्सल्य सुख मुझको दीजै //
पद्म आनने तुम ही विमला
स्वर्णदीप्तिमय तुम ही कमला
जय जय जय हे मातु मंगला
करते गज अभिषेक रुपहला
मधुकर जन्म सफल माँ कीजै /
वात्सल्य सुख मुझको दीजै //
उदयभानु तिवारी मधुकर