रास लीला झांकी
रास लीला झांकी
कान्हा छवि मनमोहक प्यारी,मेरेमनको हुलसाये /
तेरी नैन कोर कजरारी , देखन जियरा तरसाये //
सोहे मोरपंख , घुँघराली अलकें शोभा पायें
इकटक देखें नैन भूल गये , पलक न झपकायें
नहिं तन की सुधि जबसे तेरी झलक नैन पाये
मेरे मनको हुलसाये ,देखन जियरा तरसाये //१//
नीलकमल सी श्यामलछवि लख आनँदघन छाये
मन्द मन्द मुस्कान ,मुरलिया मधुरस छलकाये
जिसको देखो एक नजर वो तेरा हो जाये
मेरे मन --------------------------------------//२//
राग मोहनी छेड़ी, सखियाँ ,जो जो सुनती जायें
सुध बुध भूलें बंशी धुन में ,पास दौड़ती आयें
घेरें तुमको ज्यों तारों से चन्दा घिर जाये
मेरे मन को -----------------------------------//३//
जितनी गोपी उतने कान्हा तुमने रूप बनाये
नाचे सबके संग , एक ही रूप नजर में आये
दूजी गोपी के सँग का तुम रूप न दरशाये
मेरे मन को -----------------------------------//४//
छेड़ी तुमने जब बंशी धुन सुन कर सखियाँ झूमें
झनक झनक झन पायलबाजें फिरकीसी जब घूमें
निरततसखियाँ कटि बलखातीं चुनरी उड़ लहराये
मेरे मन को -----------------------------------//५//
सृष्टि रचैया रचना भूले झूमें बंशी धुन में
गोपी रूप धरे शिव नाचें धूम मचे मधुवन में
ब्रह्मरात्रि के ढलने तक कान्हा तुम रास रचाये
मेरे मन को ------------------------------------//६//
बाजे ढोल मृदंग गूँजती सखियों की करताली
थकित गोपियाँ देख स्वेदकण पोंछे तुम वनमाली
मुकुन्द''मधुकर''मनमें रस भर लीला दिखलाये
मेरे मन को ------------------------------------//७//
उदयभानु तिवारी ''मधुकर''
दत्त एवेन्यू फ्लेट न० ५०१
नेपियर टाउन, जबलपुर
मो० ९४२४३२३२९७
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