Friday, 28 April 2017



                      सरस्वती वन्दना

वर दो  ,  वर दो  ,   वर दो  ,  हे   माँ   सरस्वती  वर दो /
जीवन  को   रस  मय  कर दो ,  हे माँ सरस्वती वर दो  // 
ताल , छन्द,  सुर ,लय ,तरंग में , लीन  हमें  कर दो  / 
,हे माँ  सरस्वती वर दो-------------------------------//

आवाहन  कर  रहे  तुम्हारा ,  हे  स्वर  देवी  भारती /
सुमन  समर्पित कर  चरणों में ,करते  हैं माँ आरती //
कर  के आसन  ग्रहण  मंच  को , माँ जागृत कर दो /
हे माँ  सरस्वती वर दो -----------------------------//१//

भावों   की  सरिता  की  धारा , माँ  प्रवाह  में  आये /
तेरी  अनुकम्पा  पाने  सब , खड़े   हैं  शीश  झुकाये //
हरो   हृदय  अज्ञान   हमारी , बुद्धि  विमल  कर  दो /
हे माँ  सरस्वती वर दो-----------------------------//२//

तुम  हो माँ  वेदों  की   वाणी , थाह  न   कोई   पाये /
देवों  ने  ली  शरण  आपकी , जब  जब  संकट आये //
बुद्धिदायिनी   वीणा   स्वर से ,  मन  झंकृत कर दो /
हे माँ  सरस्वती वर दो---------------------------//३//

हे   ब्रम्हाणी , जनकल्याणी , हम   अज्ञानी   प्राणी /
मधुकर कन्ठ विराज करो माँ,मन्जुल मोहक वाणी //
करके  चित  को  शान्त,ध्यान  में, लीन हमें कर दो/
,हे माँ  सरस्वती वर दो---------------------------//४//


                                 उदयभानु तिवारी मधुकर 

Monday, 24 April 2017


                                       अभिनंदन   गीत 

मुक्त हुए शासन सेवा के मीत को  गले  लगाता   चल /
सुमनमाल से अभिनन्दन कर ,हृदयकमल विकसाता चल //

जो  शासन  के  पद  पर  आया ,  उसे  छोड़  कर  जाता  है /
बन  जाता  जो  मीत  ह्रदय  का , उसका  विरह  सताता है //
यही प्रकृति का नियम है बन्दे ,निज कर्तव्य निभाता चल /
आज  विदा  की   वेला  में , यादों   के  दीप  जलाता  चल //१//

जब  तक  थे  ये कार्यालय  में, उन्नति उन्मुख हवा चली /
रह   जायेंगी    यादें    इनकी ,  बात  चलेगी  गली   गली //
इनको सम्मानित कर अगले , पथ पर कदम बढ़ाता चल /
आज  विदा  की  वेला  में  , यादों  के  दीप  जलाता  चल //२//

सदा  बढ़ें  ये  अपने  पथ  पर, हम  सबकी  यह  चाह रहे /
कर्तव्यों  से   विमुख  न  हों   ये , इन्हें  चाहती  राह  रहे //
सरस्वती  के  साधक इनके ,सँग सुर ताल मिलाता चल /
आज  विदा  की  वेला  में , यादों  के  दीप  जलाता  चल //३//

मिलनसार व्यक्तित्व, प्रेरणा,से हम सबको जीत लिया 
मन प्राणों में भाव भरे , निज कर्मों से चित खींच लिया 
इनके स्वर की  सरिता में रे , मन  तू  हमें  बहाता चल 
आज विदा  की  वेला  में , यादों  के  दीप  जलाता चल //४//

वो  मेरे  प्रिय  जहाँ रहो  तुम, कीर्ति कलश की वाह रहे
दुख  केवल   इतना   ही   होगा ,  दूर  रहोगे  आह  रहे
प्रेम ताग  में  बँधे  बँधे अब , अपनी पतँग उड़ाता चल
आज  विदा  की वेला में , यादों  के  दीप  जलाता चल //५//

मिलना मधुर सुनहरा लगता ,विछुड़न शाम सिँदूरी  है /
प्रकृति चक्र की गति में रहती , सबकी प्यास अधूरी है //
गीता अमृत पीकर बन्दे , मन  की प्यास बुझाता चल /
आज विदा की  वेला  में , यादों  के  दीप  जलाता चल //६//

सुख  दुख  दो  जीवन  के  राही , एक रखे  नित दूरी है /
दुख  इश्वर  की  याद  दिलाये , सुख  देता  मगरूरी  है //
मधुकर ये दो साथी मन के , दोनों सँग  मुस्काता  चल /
आज विदा  की  वेला  में ,यादों  के  दीप  जलाता  चल //७//

                                डॉ. उदयभानु तिवारी मधुकर 
                                ५०१ दत्त एवेन्यू अपार्टमेंट 
                                नेपियर टाउन जबलपुर 
                                मो० ९४२४३२३२९७  













  

Sunday, 23 April 2017













पंछी उड़कर चला अकेला

पंछी उड़ कर चला अकेला /
पीछे छोड़ा जग का  मेला //

सन  उनीस  सौ  पचास  की  दश  , जनवरी   बेला  आई /
धरा   के   रैन   बसेरे    में , पंछी   ने   झलक    दिखाई 
छब्बिस  मई   बीस   सौ  सोलह , ने  कर  दिया झमेला 
 पंछी उड़कर ---------------------------------------------//

है  अम्बर   में   घर   पंछी   का ,  धरा  है   रैन   बसेरा 
लौटे  जग   में   जब   इच्छायें ,  मन   पर   डालें   डेरा 
आने   जाने   की   गति   करती , पंछी   दल  से  खेला 
पंछी उड़कर --------------------------------------------//

स्वजनों से मिल प्रीति बढाकर,ज्ञान की ज्योति जलाई 
अगम  काव्य   धारा  में  हमने ,  डुबकी  खूब   लगाई 
रहे  संग  में  जब  तक  हम  पर  प्रेम  का  रंग  उड़ेला 
पंछी उड़कर -------------------------------------------//

परमब्रम्ह  से  मिलने  का  जब,  पूर्तिकाल  आ  जाये 
तब  संयोग  बनाते  सद्गुरु , घर   की   याद   सताये 
उघरें  पटल  हृदय के  त्यागे , फिर वह  जग का मेला 
पंछी उड़कर ----------------------------------------- //

तन  पिंजरे  को  छोड़  के  सबसे , अपना  नाता तोड़े 
बिलखें  परिजन , संगी ,पंछी , उन सबसे  मुख मोड़े 
विछुड़न  वेला में अँखियन  से , बहा  अश्रु  का  रेला 
पंछी उड़कर -----------------------------------------//

जहाँ  काव्य  रस  धारा  बहती , याद  आपकी आती 
झुक जाता है शीश ये अँखियाँ , दोनों  नम हो जातीं 
मधुकर जोरि पाणि अर्पित, कर रहे सुमन के  झेला 
पंछी उड़कर ----------------------------------------//

                            डॉ उदयभानुतिवारी मधुकर 






 
                                   राष्ट्र गीत 
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                            भारत माता 

सिंहवाहिनी   दुर्गा   ही  तो , अपनी  भारत   माता  है 
जिसमें  श्रद्धा  भाव  वही , माँ की अनुकम्पा पाता  है

स्मृति दिवस शहीदों का , जब  अपना  देश मनाता  है 
लिये अंक  में  पुष्प  तिरंगा, झर झर झर  बरसाता  है 
जयकारों की ध्वनियाँ गूँजें , पवन  ध्वजा  लहराता है 
सिंहवाहिनी-----------------------------------------//१//

नवदुर्गा  में  देश  हमारा , -माँ  के  ही  गुण  गाता  है 
माँ रक्षक- है हम सबकी , धरती  से  इसका  नाता  है 
प्रगट करे निज रूप ,-धरा पर जब संकट  गहराता  है 
सिंहवहिनी ----------------------------------------//२// 

तीन गुणों में तीन शक्तियाँ, ध्वजा में आकर लहराईं 
हरे ,श्वेत , केशरिया  रँग  में ,झलके  इनकी  परछाईं 
केशरिया शिव का विरक्ति गुण,हिय वैराग्य जगाता है 
सिंहवाहिनी ---------------------------------------//३//

स्वेत रंग में विष्णु समाये , समय चक्र को संग लिये
है तटस्थ यह सदगुण मन में, नित देता संकेत  नये
हरे रंग में रजगुण ब्रम्हा ,जो  सब  जगत  रचाता है 
सिंहवाहिनी --------------------------------------//४//

शीत  ,ग्रीष्म ,वर्षा  ये  तीनों , ऋतुएँ भारत में आतीं 
चतुर्मास कर  राज ताज वे , फिर  दूजे  को  दे जातीं 
माँ का बासन्ती चोला, हर देश  भक्त  को  भाता  है 
सिंहवाहिनी --------------------------------------//५//

आजादी के महायज्ञ में,जिसने तन मन हवन किया 
उसे तिरंगे में लिपटा कर,माता  ने अमरत्त्व  दिया 
मधुकर उन वीरों का सबको ,गौरव गान  सुनाता है
सिंहवाहिनी -------------------------------------//६//


                            उदयभानु तिवारी ''मधुकर''
                             दत्त एवेन्यूफ्लैट न० ५०१ 
                              नेपियर टाउन जबलपुर          
                                मो० ९४२४३२३२९७  




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सब  देशों  से  श्रेष्ठ  पुरातन , भारत   देश   हमारा   है 
जहाँ  तिरंगा  ध्वज  लहराता , हमें  प्राण  से  प्यारा  है 

 जहाँ   यमुन  , गंगा , रेवा  , सरयू   की   पावन  जल धारा 
वात्सल्य   रस   छलकातीं , सब  ओऱ   गूँजता   है    नारा 
जन्में राम ,कृष्ण जी  जिनका , चरित  विश्व में  न्यारा है
सब देशों ------------------------------------------------//२// 

सबसे  सुन्दर   काश्मीर  है , तिरुपति   है   विख्यात  यहाँ 
लालकिला   दिल्ली  में  आगरा , ताजमहल  है  बना  जहाँ   
जिसके &nbsसिर का ताज  हिमालय , अनुपम  प्रकृति नजारा है 
सब देशों -------------------------------------------------//३//

जिस  धरती  पर  वीरशिवा , राणाप्रताप  ने   जन्म  लिया 
दुर्गावति  , लक्ष्मी बाई   ने  , जहाँ    घोर   संग्राम    किया 
श्री सुभाष , आज़ाद , भगत , गाँधी  तन  जिस  पर वारा है  
सब देशों -------------------------------------------------//४//

सन  उनीस सौ सैंतालिस , पन्द्रह अगस्त  दिन जब आया 
हुये स्वतन्त्र हिन्द का ध्वज यह,मचल मचल कर लहराया 
मधुकर  दिल्ली  में  दिखता , स्मृति  में  भव्य  नजारा  है 
सब देशों से श्रेष्ठ पुरातन ,-----------------------------//४// 

                                       उदयभानु तिवारी ''मधुकर''
                                       दत्त एवेन्यू फलत न० ५०१ 
                                         नेपियर टाउन जबलपुर   
                                           मो० ९४२४३२३२९७ 
दुनिया में सबसे न्यारा लहराए तिरगा प्यारा दुनिया में सब से न्याराss लहराये तिरंगा प्यारा / हो गये अमर वे वीर जिन्होंने जीवन इस पर वारा // < हर शहीद की शान यही है हम स्वतंत्र पहचान यही है स्वाभिमान है यही हमारा प्रथम गान के योग्य यही है झुकते ज्यों ही शीश मचल लहराए तिरंगा प्यारा / दुनिया में सब से न्याराss लहराये तिरंगा प्यारा // हरा श्वेत केशर रँग भाये चक्र समय का मध्य सुहाये ये भारत की शान बढाये वीरों में उत्साह जगाये सर्वत्र गूँजता नारा है अदभुत देश हमारा / दुनिया में सब से न्याराss लहराये तिरंगा प्यारा // हम तटस्थ हैं स्वेत बताये हरा प्रगति की झलक दिखाये मन विरक्ति केशरिया लाये बनें रौद्र जब शत्रु जगाये वीरो ने इसे सवाँरा दे आजाद हिन्द का नारा / दुनिया में सब से न्याराss लहराये तिरंगा प्यारा // जब बिगुल बजा आज़ादी का लक्ष्मीबाई ने ललकारा अंग्रेज हुकूमत डोल गई हो गया सजग भारत सारा जब घेर शत्रु दल मारा लहराया तिरंगा प्यारा / दुनिया में सब से न्याराss लहराये तिरंगा प्यारा // नेता सुभाष की फौजों ने अंग्रेजों को चुन चुन मारा उनके छक्के ; छूट गये था वन्देमातरम का नारा सब ओर एक था नारा यह हिन्दुस्तान हमारा / दुनिया में सब से न्याराss लहराये तिरंगा प्यारा // आज़ाद भगत हमजोली से घबराये गोरे गोली से जो बात बनी ना बोली से वह बनी खून की होली से अंग्रेज प्रशासन हारा चमका भारत भाग्य सितारा / दुनिया में सब से न्याराss लहराये तिरंगा प्यारा // डर लोकतंत्र से भाग गये
                     तिरंगा 

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लक्ष्मीबाई  ने  गोरों   को   , जब   रण   में   ललकारा /
तब  स्वतन्त्र  भारत  का  गूँजा , घर घर में यह  नारा //
                                              है हिन्दुस्तान हमारा /
                                               है हिन्दुस्तन हमारा  //

क्रान्ति  की  आँधी  आई , जन  जन  ने  ली  अँगड़ाई /
आजाद   हिन्द  को   करने , नेता   ने   फौज   बनाई //
वन्देमातरम  स्वर  सुन  जागा , सारा  हिन्द  हमारा  / 
तब  स्वतन्त्र  भारत  का  गूँजा ,घर घर में यह  नारा // 
                                       यह हिन्दुस्तान हमारा २ //१//  
                                      

जिनने  ध्वज   फहराया , फाँसी  पर  उन्हें  झुलाया /
अगणित बलिदान चढ़ाया,तब भारत ध्वज लहराया //
रखना  उनको  याद  हिन्द  पर ,जिनने जीवन वारा /
जिनके कारण भारत के ,  घर  घर  में  गूँजा  नारा //
                                    है हिन्दुस्तान हमारा २//२//
                                    

यह   जोशीला   अंगारा , है  नाम   तिरंगा   प्यारा /
वीरों  ने   इसे   सवाँरा ,सन्तों   ने   दिया   सहारा //
अर्पित  श्रद्धा सुमन  उन्हें, जो देश के बने सितारा /
जिनके कारण भारत के, घर  घर  में  गूँजा  नारा //
                                   है हिन्दुस्तान हमारा २//३//
                                 
मजहब में उलझ मतलड़ना,सब इसे सम्हाले रहना /
भारत अखंड हो  अपना ,जन मानस  का है सपना //
राष्ट्रधर्म    है   सबसे   ऊपर , रक्षा   कर्म   हमारा /
जिनके कारण भारत के , घर  घर  में  गूँजा  नारा //
                                     है हिन्दुस्तान हमारा२//४ //
                                  
जो काम देश के आता , उसको ध्वज गले लगाता /
मधुकर सम्मान दिलाकर,जगती में अमर कराता //
तन उनने इस पर वारा , जिनको था  देश पियारा /
जिनके  कारण भारत के , घर घर में  गूँजा  नारा //
                                  है  हिन्दुस्तान हमारा २//५//

                                 डॉ. उदयभानु तिवारी मधुकर 
                                 मो० ९४२४३२३२९७