काव्य सृजन किसी अन्यान्य सृजनधर्मी मित्र के लिए बौद्धिक विलास अथवा रूचि मात्र हो सकता है... किन्तु उनमे से कुछ ही होते हैं जिनके लिए साहित्य ही साधना बन जाती है.. अपने इष्ट और गुरुओं के शुभाशीष का फल मानता हूँ...इन काव्य रचनाओं का सृजन, मेरे लिए एक साधना है और उनके श्री चरणों में श्रद्धा सुमन भी.. आनंद लें 'मधुकर के कुसुम' का...जो आप सभी सुधि पाठकों को अलग अलग विधा में स्तोत्र , गीत, भजन और स्तुतियों के रूप में पढ़ने को मिलेंगी .!!!
Sunday, 23 April 2017
दुनिया में सबसे न्यारा लहराए तिरगा प्यारा
दुनिया में सब से न्याराss लहराये तिरंगा प्यारा /
हो गये अमर वे वीर जिन्होंने जीवन इस पर वारा //
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हर शहीद की शान यही है
हम स्वतंत्र पहचान यही है
स्वाभिमान है यही हमारा
प्रथम गान के योग्य यही है
झुकते ज्यों ही शीश मचल लहराए तिरंगा प्यारा /
दुनिया में सब से न्याराss लहराये तिरंगा प्यारा //
हरा श्वेत केशर रँग भाये
चक्र समय का मध्य सुहाये
ये भारत की शान बढाये
वीरों में उत्साह जगाये
सर्वत्र गूँजता नारा है अदभुत देश हमारा /
दुनिया में सब से न्याराss लहराये तिरंगा प्यारा //
हम तटस्थ हैं स्वेत बताये
हरा प्रगति की झलक दिखाये
मन विरक्ति केशरिया लाये
बनें रौद्र जब शत्रु जगाये
वीरो ने इसे सवाँरा दे आजाद हिन्द का नारा /
दुनिया में सब से न्याराss लहराये तिरंगा प्यारा //
जब बिगुल बजा आज़ादी का
लक्ष्मीबाई ने ललकारा
अंग्रेज हुकूमत डोल गई
हो गया सजग भारत सारा
जब घेर शत्रु दल मारा लहराया तिरंगा प्यारा /
दुनिया में सब से न्याराss लहराये तिरंगा प्यारा //
नेता सुभाष की फौजों ने
अंग्रेजों को चुन चुन मारा
उनके छक्के ; छूट गये
था वन्देमातरम का नारा
सब ओर एक था नारा यह हिन्दुस्तान हमारा /
दुनिया में सब से न्याराss लहराये तिरंगा प्यारा //
आज़ाद भगत हमजोली से
घबराये गोरे गोली से
जो बात बनी ना बोली से
वह बनी खून की होली से
अंग्रेज प्रशासन हारा चमका भारत भाग्य सितारा /
दुनिया में सब से न्याराss लहराये तिरंगा प्यारा //
डर लोकतंत्र से भाग गये
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