Monday, 24 April 2017


                                       अभिनंदन   गीत 

मुक्त हुए शासन सेवा के मीत को  गले  लगाता   चल /
सुमनमाल से अभिनन्दन कर ,हृदयकमल विकसाता चल //

जो  शासन  के  पद  पर  आया ,  उसे  छोड़  कर  जाता  है /
बन  जाता  जो  मीत  ह्रदय  का , उसका  विरह  सताता है //
यही प्रकृति का नियम है बन्दे ,निज कर्तव्य निभाता चल /
आज  विदा  की   वेला  में , यादों   के  दीप  जलाता  चल //१//

जब  तक  थे  ये कार्यालय  में, उन्नति उन्मुख हवा चली /
रह   जायेंगी    यादें    इनकी ,  बात  चलेगी  गली   गली //
इनको सम्मानित कर अगले , पथ पर कदम बढ़ाता चल /
आज  विदा  की  वेला  में  , यादों  के  दीप  जलाता  चल //२//

सदा  बढ़ें  ये  अपने  पथ  पर, हम  सबकी  यह  चाह रहे /
कर्तव्यों  से   विमुख  न  हों   ये , इन्हें  चाहती  राह  रहे //
सरस्वती  के  साधक इनके ,सँग सुर ताल मिलाता चल /
आज  विदा  की  वेला  में , यादों  के  दीप  जलाता  चल //३//

मिलनसार व्यक्तित्व, प्रेरणा,से हम सबको जीत लिया 
मन प्राणों में भाव भरे , निज कर्मों से चित खींच लिया 
इनके स्वर की  सरिता में रे , मन  तू  हमें  बहाता चल 
आज विदा  की  वेला  में , यादों  के  दीप  जलाता चल //४//

वो  मेरे  प्रिय  जहाँ रहो  तुम, कीर्ति कलश की वाह रहे
दुख  केवल   इतना   ही   होगा ,  दूर  रहोगे  आह  रहे
प्रेम ताग  में  बँधे  बँधे अब , अपनी पतँग उड़ाता चल
आज  विदा  की वेला में , यादों  के  दीप  जलाता चल //५//

मिलना मधुर सुनहरा लगता ,विछुड़न शाम सिँदूरी  है /
प्रकृति चक्र की गति में रहती , सबकी प्यास अधूरी है //
गीता अमृत पीकर बन्दे , मन  की प्यास बुझाता चल /
आज विदा की  वेला  में , यादों  के  दीप  जलाता चल //६//

सुख  दुख  दो  जीवन  के  राही , एक रखे  नित दूरी है /
दुख  इश्वर  की  याद  दिलाये , सुख  देता  मगरूरी  है //
मधुकर ये दो साथी मन के , दोनों सँग  मुस्काता  चल /
आज विदा  की  वेला  में ,यादों  के  दीप  जलाता  चल //७//

                                डॉ. उदयभानु तिवारी मधुकर 
                                ५०१ दत्त एवेन्यू अपार्टमेंट 
                                नेपियर टाउन जबलपुर 
                                मो० ९४२४३२३२९७  













  

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