मुक्त हुए शासन सेवा के मीत को गले लगाता चल /
सुमनमाल से अभिनन्दन कर ,हृदयकमल विकसाता चल //
जो शासन के पद पर आया , उसे छोड़ कर जाता है /
बन जाता जो मीत ह्रदय का , उसका विरह सताता है //
यही प्रकृति का नियम है बन्दे ,निज कर्तव्य निभाता चल /
आज विदा की वेला में , यादों के दीप जलाता चल //१//
जब तक थे ये कार्यालय में, उन्नति उन्मुख हवा चली /
रह जायेंगी यादें इनकी , बात चलेगी गली गली //
इनको सम्मानित कर अगले , पथ पर कदम बढ़ाता चल /
आज विदा की वेला में , यादों के दीप जलाता चल //२//
सदा बढ़ें ये अपने पथ पर, हम सबकी यह चाह रहे /
कर्तव्यों से विमुख न हों ये , इन्हें चाहती राह रहे //
सरस्वती के साधक इनके ,सँग सुर ताल मिलाता चल /
आज विदा की वेला में , यादों के दीप जलाता चल //३//
मिलनसार व्यक्तित्व, प्रेरणा,से हम सबको जीत लिया
मन प्राणों में भाव भरे , निज कर्मों से चित खींच लिया
इनके स्वर की सरिता में रे , मन तू हमें बहाता चल
आज विदा की वेला में , यादों के दीप जलाता चल //४//
वो मेरे प्रिय जहाँ रहो तुम, कीर्ति कलश की वाह रहे
दुख केवल इतना ही होगा , दूर रहोगे आह रहे
प्रेम ताग में बँधे बँधे अब , अपनी पतँग उड़ाता चल
आज विदा की वेला में , यादों के दीप जलाता चल //५//
मिलना मधुर सुनहरा लगता ,विछुड़न शाम सिँदूरी है /
प्रकृति चक्र की गति में रहती , सबकी प्यास अधूरी है //
गीता अमृत पीकर बन्दे , मन की प्यास बुझाता चल /
आज विदा की वेला में , यादों के दीप जलाता चल //६//
सुख दुख दो जीवन के राही , एक रखे नित दूरी है /
दुख इश्वर की याद दिलाये , सुख देता मगरूरी है //
मधुकर ये दो साथी मन के , दोनों सँग मुस्काता चल /
आज विदा की वेला में ,यादों के दीप जलाता चल //७//
डॉ. उदयभानु तिवारी मधुकर
५०१ दत्त एवेन्यू अपार्टमेंट
नेपियर टाउन जबलपुर
मो० ९४२४३२३२९७
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