Saturday, 10 September 2011

दीप दान:

गीत:

दीप दान  

मधुकर
*                                                                                  
पानी में तैर चली, कागज की नाव री
दीप कहे धारा से, धीरे बहाव री

भटकें न राह कहीं, मेरे साँवरिया
देना प्रकाश उन्हें,  दियना रे भैया
पिया पास भेज रही प्रेम भरा भाव री
दीप कहे धारा से धीरे बहाव री //१//

चली जाए इठलाती बलखाती नैया
भँवरों के बीच नहीं कोई खिवैया
टेढ़ी है गैल कहीं तीखे कटाव री
दीप कहे धारा से धीरे बहाव री //२//

मधुर-मधुर हवा चली लगा गई ठुमका
अमवा की डारों के हिला गई झुमका
जुगनू के वृन्द मोसे  लगा रहे दाँव री
दीप कहे  धारा से  धीरे बहाव री //३//

हर हर हर बोल रहीं पीपल की पतियाँ
तरुवर से करन लगीं प्यार भरी बतियाँ
तीरे में कूद पात लगा रहे भाँवरी-
 दीप कहे धारा से धीरे बहाव री//४//

सपर रही सरिता में गोरी जुन्हैया
खिलन लगी कुमुद कली गाँव की तलैया
पनघट में भीर जुरी देखन को ठाँव री
दीप कहे धारा से धीरे बहाव री//५//

रुन झुन सी पावों में बाँधे पायलिया
नीर भरन चली लेके गागरी गुजरिया
लहरों के बीच कहीं फिसले न पावन री
दीप कहे धारा से धीरे बहाव री//६//

घंटों के शोर भये मंदिर के द्वारे
भोर भई जाग-जाग मुर्गा पुकारे
गाओ रे प्रात गीत बीती विभावरी
दीप कहे धारा से धीरे बहाव री ७//
***********

No comments:

Post a Comment