गीत:
दीप दान
मधुकर
*
पानी में तैर चली, कागज की नाव री
दीप कहे धारा से, धीरे बहाव री
भटकें न राह कहीं, मेरे साँवरिया
दीप कहे धारा से धीरे बहाव री //१//
चली जाए इठलाती बलखाती नैया
भँवरों के बीच नहीं कोई खिवैया
टेढ़ी है गैल कहीं तीखे कटाव री
दीप कहे धारा से धीरे बहाव री //२//
मधुर-मधुर हवा चली लगा गई ठुमका
अमवा की डारों के हिला गई झुमका
जुगनू के वृन्द मोसे लगा रहे दाँव री
दीप कहे धारा से धीरे बहाव री //३//
हर हर हर बोल रहीं पीपल की पतियाँ
तरुवर से करन लगीं प्यार भरी बतियाँ
तीरे में कूद पात लगा रहे भाँवरी-
दीप कहे धारा से धीरे बहाव री//४//
सपर रही सरिता में गोरी जुन्हैया
खिलन लगी कुमुद कली गाँव की तलैया
पनघट में भीर जुरी देखन को ठाँव री
दीप कहे धारा से धीरे बहाव री//५//
रुन झुन सी पावों में बाँधे पायलिया
नीर भरन चली लेके गागरी गुजरिया
लहरों के बीच कहीं फिसले न पावन री
दीप कहे धारा से धीरे बहाव री//६//
घंटों के शोर भये मंदिर के द्वारे
भोर भई जाग-जाग मुर्गा पुकारे
गाओ रे प्रात गीत बीती विभावरी
दीप कहे धारा से धीरे बहाव री ७//
***********
दीप दान
मधुकर
*
पानी में तैर चली, कागज की नाव री
दीप कहे धारा से, धीरे बहाव री
भटकें न राह कहीं, मेरे साँवरिया
देना प्रकाश उन्हें, दियना रे भैया
पिया पास भेज रही प्रेम भरा भाव री दीप कहे धारा से धीरे बहाव री //१//
चली जाए इठलाती बलखाती नैया
भँवरों के बीच नहीं कोई खिवैया
टेढ़ी है गैल कहीं तीखे कटाव री
दीप कहे धारा से धीरे बहाव री //२//
मधुर-मधुर हवा चली लगा गई ठुमका
अमवा की डारों के हिला गई झुमका
जुगनू के वृन्द मोसे लगा रहे दाँव री
दीप कहे धारा से धीरे बहाव री //३//
हर हर हर बोल रहीं पीपल की पतियाँ
तरुवर से करन लगीं प्यार भरी बतियाँ
तीरे में कूद पात लगा रहे भाँवरी-
दीप कहे धारा से धीरे बहाव री//४//
सपर रही सरिता में गोरी जुन्हैया
खिलन लगी कुमुद कली गाँव की तलैया
पनघट में भीर जुरी देखन को ठाँव री
दीप कहे धारा से धीरे बहाव री//५//
रुन झुन सी पावों में बाँधे पायलिया
नीर भरन चली लेके गागरी गुजरिया
लहरों के बीच कहीं फिसले न पावन री
दीप कहे धारा से धीरे बहाव री//६//
घंटों के शोर भये मंदिर के द्वारे
भोर भई जाग-जाग मुर्गा पुकारे
गाओ रे प्रात गीत बीती विभावरी
दीप कहे धारा से धीरे बहाव री ७//
***********
No comments:
Post a Comment