Friday, 30 September 2011

सरस्वती आवाहन

                                          सरस्वती आवाहन
हे हंस वाहिनी   सरस्वती  हम  करते  माँ    तेरा         वन्दन /
कर ज्योति प्रज्ज्वलित सुमन लिए कर रहे तुम्हारा अभिन्दन//
आजाओ आसन ग्रहण करो दो   शक्ति   बढे मन  का   स्यंदन/ 
हे हंसवाहिनी   सरस्वती  हम  करते  मन   तेरा         वन्दन //

तन श्वेत वस्त्र निर्मल काया ;द्युति चन्द्र छटा सी अविकारी /
कमलासन शोभित शीश मुकुट ;कर में वीणा छवि मनहारी//
हे वीणावादिनी आ  जाओ बनजाओ   माँ   चित का चन्दन /
हे हंसवाहिनी   सरस्वती  हम  करते माँ    तेरा     वन्दन //१//

तुम बुद्धि दायिनी देवी हो ;  अरु   अंतर्मन   की   तमहारी
दो ऐसा ज्ञान प्रकाश हमें ;विकसे हिय कुमुद कली प्यारी
माँ चन्द्रकान्तिके आजाओ  ;स्वर निखरे भाव बने कुंदन
हे हंसवाहिनी   सरस्वती  हम  करते माँ    तेरा     वन्दन //२//

तुम राग रागिनी स्वरलहरी ;शब्दों    की  तुम  हो फुलवारी /
हो वेद मंत्र की शक्ति तुम्हीं  ;गन्धर्व ; दैव  ; मुनि बलिहारी //
माँ छेड़ो ऐसी तान खिले;    जन मानस का हिय  नन्दनवन  /
हे हंसवाहिनी   सरस्वती  हम  करते माँ    तेरा     वन्दन //३//

हैं तुम बिन कलाविहीन सभी ;ज्यों नयनकोर बिन कजरारी /
हो मधुकर पुष्पपराग तुम्हीं ;प्रिय काव्यसुधा रस मनहारी //
आजाओ माँ अब मधुकर मन रस पीने को करता गुन्जन /
हे हंसवाहिनी   सरस्वती  हम  करते माँ    तेरा     वन्दन //४//

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