सरस्वती आवाहन
हे हंस वाहिनी सरस्वती हम करते माँ तेरा वन्दन /
कर ज्योति प्रज्ज्वलित सुमन लिए कर रहे तुम्हारा अभिन्दन//हे हंस वाहिनी सरस्वती हम करते माँ तेरा वन्दन /
आजाओ आसन ग्रहण करो दो शक्ति बढे मन का स्यंदन/
हे हंसवाहिनी सरस्वती हम करते मन तेरा वन्दन //
तन श्वेत वस्त्र निर्मल काया ;द्युति चन्द्र छटा सी अविकारी /
कमलासन शोभित शीश मुकुट ;कर में वीणा छवि मनहारी//
हे वीणावादिनी आ जाओ बनजाओ माँ चित का चन्दन /
हे हंसवाहिनी सरस्वती हम करते माँ तेरा वन्दन //१//
तुम बुद्धि दायिनी देवी हो ; अरु अंतर्मन की तमहारी
दो ऐसा ज्ञान प्रकाश हमें ;विकसे हिय कुमुद कली प्यारी
माँ चन्द्रकान्तिके आजाओ ;स्वर निखरे भाव बने कुंदन
हे हंसवाहिनी सरस्वती हम करते माँ तेरा वन्दन //२//
तुम राग रागिनी स्वरलहरी ;शब्दों की तुम हो फुलवारी /
हो वेद मंत्र की शक्ति तुम्हीं ;गन्धर्व ; दैव ; मुनि बलिहारी //
माँ छेड़ो ऐसी तान खिले; जन मानस का हिय नन्दनवन /
हे हंसवाहिनी सरस्वती हम करते माँ तेरा वन्दन //३//
हैं तुम बिन कलाविहीन सभी ;ज्यों नयनकोर बिन कजरारी /
हो मधुकर पुष्पपराग तुम्हीं ;प्रिय काव्यसुधा रस मनहारी //
आजाओ माँ अब मधुकर मन रस पीने को करता गुन्जन /
हे हंसवाहिनी सरस्वती हम करते माँ तेरा वन्दन //४//
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