गुप्तेश्वर गुफा का प्रकाश में आनाअब सुनिये यह गुप्त गुफा , कैसे , प्रकाश में आई /हर हर शिव गुप्तेश्वर हर ध्वनि , कानन पड़े सुनाई //अट्ठारह सौ सन्तावन में , ऐसी जाग्रति हवा चली /डोल गया अँग्रेज प्रशासन , जाग गई हर गली गली //
करवाने आजाद हिन्द को , लहर क्रान्ति की आई //१// हर --
आजादी के क्रान्ति वीर जब , आते ध्वज फहराने को /
मार रहे थे छापा जब वे , दुश्मन मार भगाने को //गुप्तेश्वर थी शरण स्थली , छिपें न पड़ें दिखाई //२// हर --
परम शान्ति मन को मिलती , था तपसक्षेत्र एकांत यहाँसेनानी का भेद न पाते , ढूँढ थके अंग्रेज वहाँआस पास थे पान बरेजे , दृश्य बड़ा सुखदाई //३// हर --यहाँ निकट के चरवाहे , निज बकरी , धेनु चराते थे /यहीं बावली थी सुन्दर सी , जल भर कर ले जाते थे //बैठ रहे थे वहाँ नित्य वे , शिला छाँव थी छाई //३// हर --लुका छिपी का खेल खेलते , ग्वाल वाल वीरने में /गुफा की माटी खुरचा करते , वे बालक अनजाने में /एक दिवस फिसली माटी , अंदर दी गुफा दिखाई //४// हर--देखा झाँक बालकों ने तो , दिखी खोपड़ी काली सी /घबराये लख गुफा भयानक , काल रात्रि अँधियाली सी //घर घर जाकर कहा डरे सब , श्रवण बात जब आई //५// हर--चले देखने सबके परिजन , द्वार गुफा के जब आये /देखा अन्दर शिव की पिंडी, सब मन ही मन हर्षाये //साफ सफाई की सबने मिल , गुफा सभी को भाई //६// हर --गुप्त गुफा में शिव प्रगटे यह , चर्चा फैली जन जन में /सिद्ध संत कुछ देखन आये, शिव को देखा निर्जन में //बोले ये तो गुप्तेश्वर हैं , कथा श्रवण में आई //७// हर--
है वर्णन रेवा पुराण में , वे ही ये गुप्तेश्वर हैं /
गुफा के अन्दर छिपे रहे अब , प्रगटे वे भुवनेश्वर हैं //
हुये भाग्य अब उदय सभी के , शिव ने कृपा दिखाई //८//
पूजन का क्रम शुरू हुआ फिर, बही कीर्तन की धारा /यज्ञ , हवन , शिव जयकारों से , गूँज उठा स्थल सारा //संत मंडली ने गुप्तेश्वर , धर्म ध्वजा फहराई //९// हर--सिद्ध क्षेत्र पहचान सभी , भक्तों ने मंदिर बनवाया /बढ़ने लगी प्रसिद्धि गुफा ने, शिव अनुकम्पा बरसाया //संत महंत नृसिंह मन्दिर के , श्रवण बात यह आई //१०// हर --स्वामी रामचन्द्रदास जी , नरसिंह मन्दिर से आये /देख गुफा एकान्त मनोरम , दृश्य देख हिय हर्षाये //गुफा के ऊपर सघन झाड़ियों , में मन गया लुभाई //११// हर --नरसिंह मन्दिर से पूजन कर , नित गुप्तेश्वर आते थे /बैठ यहाँ एकान्त शिला पर , गीता में रम जाते थे //लगा ध्यान ज्ञानांकुर निकला , अदभुत कृति बन आई //१२// हर --अंकुर बढ़ कर बना ज्ञान तरु , सींचत जल शिव हर्षाये /खिले ज्ञान के सुमन हृदय से, कृति बन ढल बाहर आये //नरसिंहपीठाधीश्वर जी के , मुख से सुनी बडाई //१३// हर --परम शिष्य श्री श्यामदास को, भी रहस्य यह बतलाया /इस स्थल को और प्रकाशित , करने भाव हृदय आया //भक्तों के सँग किया मंत्रणा , मन्दिर समिति बनाई //१४// हर--स्वामीमुकुन्ददासजी को इस, मन्दिर का पद भार दिया /हुई कृपा गुप्तेश्वर में जब, शिव ने उनको शरण लिया //जुड़ने लगे नगर के प्रति निधि , जन में जागृति आई //१५// हर--स्वामी मुकुन्द दास ने आकर, मन्दिर जीर्णोद्धार किया /बन कर सन्यासी निज जीवन ,शिव सेवा में वार दिया //रेवा माँ की महा आरती , लौ इनसे लहराई //१६// हर--श्री स्वामी विष्णुदेवानँद , सरस्वती दरि में आये /सत्यमित्रानन्द जगदगुरु , ने भी शम्भु दरस पाये //रामभद्राचार्य जगदगुरु , ने रच स्तुति गाई //१७// हर--यहाँ नृत्यगोपाल दास सँग , मौनी बाबा भी आये /गुफाहिमाचलमें है जिनकी , लख हरषे शिव गुण गाये //आये यहाँ पायलट बाबा , सिद्धि योग की पाई //१८// हर--वासुदेवानन्द , शिवानँद , देवरहा बाबा आये /ऋषि ब्रह्मर्षि , बावरा आदिक , सन्त महंत दरश पाये //गुप्तेश्वर यश कीर्ति पताका , चहुँदिशि में लहराई //१९// हर--स्वयं प्रगट हैं शिव कैलाशी , गुप्तेश्वर स्थल प्यारा /यहाँ रुद्र-अभिषेक चले नित , बहे भक्तिरस की धारा //मधुकर शिव जागे समाधि से , भीर दरश को धाई //२०// हर--उदयभानु तिवारी ''मधुकर''५०१ दत्त एवेन्यू अपार्टमेन्टनेपियर टाउन, जबलपुर
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