Thursday, 1 September 2016

रानी दुर्गावती पर गुप्तेश्वर की कृपा

डमड्  डमड्  डम  डम  डमरू  धुन , हिय  में  रही समाई /
हर  हर  शिव   गुप्तेश्वर  हर  ध्वनि , कानन  पड़े  सुनाई //

किन्न किन्न  करते  मंजीरे , ढोल  ढमक  ढम बोल चले /
झनन झनन झाँझर झंकारें, जगमग जगमग ज्योति जले //
टन्न  टन्न   घंटे    ध्वनि   करते  , भरते   शंख    लुनाई / हर-- 

झूम भक्त  सब  करें  आरती, लहर  भक्ति  की  बह आये /
मनहारी आरति ध्वनि गूँजे , राही  का  मन खिंच जाये //
मन्द   सुगन्धित   पवन  डोलती  आरति   लौ  लहराई / हर--  

आरति   कर   गुप्तेश्वर   महिमा , का  वृत्तांत  सुनाते  हैं /
कैसे  सदगुरु  से  मिलवा कर, शिव जी लाज बचाते हैं //
श्रद्धाभक्ति  रहे  जिसके  मन ,उस   पर  आँच    आई /  हर--    

रानी   दुर्गावती   राज्य  में गुरुवर   नरहरिदास   हुये /
ऋषि  जाबाली  परम्परा  के , साधक  सिद्ध उजास हुये //
रानी  पर   थी  कृपा  गुरू  की , विपत  में   रहे  सहाई / हर--  

रानी  थीं  श्रद्धालु  हृदय   से , भक्ति  भावना  भारी  थी /
साधु   संत  की   सेवा  करती , वह  देवी  अवतारी  थी //
दान  पुण्य   विप्रों  की   सेवा , में  मन  लगन  लगाई / हर--  

नगर जबलपुर में जब  रहतीं , शारद  दर्शन को जातीं /
माला  देवी  का पूजन  कर,  गुप्तेश्वर  वे  नित  तीं //
गुप्तेश्वर   की   अनुकम्पा    ही ,  उनको   लेत    बुलाई / हर--  

एक  समय  सन्तों   की  टोली , गुप्तेश्वर  स्थल  आई /
भरा बावली में  जल  निर्मल , मोह  रही  थी  अमराई //
शिव  अनुकम्पा   मिली रमा मन , धूनी  यहीं  रमाई / हर--  

रात्रि किया विश्राम सुबह की , तैयारी  थी  चलने की /
रानी मन जिज्ञासा प्रगटी , संत  जनों से मिलने की //
रानी   दुर्गावती  सुबह   ही , सन्तों  से  मिलने   आई / हर--  

मिल विनम्र स्वर में बोलीं, सब संत कहाँ से आये हैं /
कहिये क्या आतिथ्य करें, हम औचक दर्शन पाये हैं //
आप अतिथियों को लख मेरे, मन में शान्ति समाई / हर--  

कुछ दिन रुकिये और हमें भी,सेवा करने अवसर दें /
मिले हमें भी पुण्य लाभ,यश,ऐसी आप कृपा कर दें //
जो आज्ञा हो कहेँ , जोड़  कर हाथ ये विनय सुनाई / हर--  

बोले एक महन्त चले  हम, रेवा  की परिकरमा में /
नहीं चाहिये अभी हमें कुछ,मन है मातु अपर्णा में //
पुनि जब आग्रह किया, कहा दो हमें कमण्डल  माई / हर--  

भेजे  अनुचर  उन्हें  मँगाने , उनने  जो  संकल्प   किया /
मिले नहीं जब कहीं कमण्डल, तब निज गुरु को याद किया //
आश्रम    ढूँढे ,   मंदिर   ढूँढे सब   में   खोज   कराई / हर--  

मिले नर्मदा के तट पर  गुरु , उनको  हाल  सुनाया है /
बोले   गुरुवर   चिन्ता  मतकर , गुप्तेश्वर  की  माया  है //
संत  जनों  के  दर्शन  की जिज्ञासा  गुरु  मन  आई / हर--  

श्री  नरहरि  बोले  हे  रानी मम  सन्देशा  ले  जाओ /
विनती  कर  सन्तों  को मेरे, आश्रम यहीं  बुला लाओ //
कहना  सन्तों  के  स्वागत  हित ,गुरु  ने खबर पठाई / हर--  

रानी  ने  जाकर  सन्तों  को , गुरु  सन्देश  सुनाया है /
रेवा  तट  अभिनन्दन   करने , संतों  को  बुलवाया  है //
है  विनय  यही  सब चलें वहीं हैं  जहाँ  नर्मदा माई / हर--   

सिद्ध पुरुष नरहरि से मिलने, रानी सँग सब संत चले /
पहुँचे स्वागत हुआ सभी का,फिर सब गुरु से गले मिले //
हुआ  समागम  संतों  का , हिय  हर्ष  लहर  बह  आई / हर--  

सन्तों के मन शंका उपजी , नहीं कमण्डल दिखते हैं /
गुरु  बोले  स्नान  करें सब  फल  रेवा से मिलते हैं //
जो   मज्जन   करते   रेवा  में डुबकी   रहे   लगाई / हर--  

ले  गोते  जब  बाहर निकलें , हाथ कमण्डल आ जाये  /
देख सन्त सब चकित हुये,शिव माया नहीं समझ पाये //
एक   साथ  सबका  स्वर गूँजा , जयति  नर्मदा  माई / हर--             

रानी  गदगद  हुईं  संत भी हुये  सभी  संतुष्ट  वहाँ /
कभी न संकट उन पर आये , गुप्तेश्वर की कृपा जहाँ //
यह  महिमा  विरले  ही जाने , शिव  दें  जिसे जनाई / हर--  

फिर नरहरि  बोले  हे रानी , संकट अगर कभी आये /
गुप्तेश्वर जाकर कह देना , मुझे  विदित  वह हो जाये //
पाकर  गुरु आशीष  नमन कर , रानी  महल  सिधाई / हर  

योगी नरहरिदास आज  भी , सूक्ष्म  रूप  में  आते हैं /
ऋषि जाबाली परम्परा की,वे शिव ज्योति जलाते हैं //
वे  ही जान  रहे  जिनको दी , उनने  झलक  दिखाई / हर--  

शिव अनुकम्पा जिन्हें मिली है, वे यह अनुभव कर पाते /
सर्व  कामना त्याग निरन्तर , गुप्तेश्वर के गुण गाते //
हुये  विरत  जो  शरण  में आकर , धूनी  रहे  रमाई / हर--  

हे शम्भो सुख भोग त्याग जो, भक्त पड़े सेवा करते /
उनको देते हो हरि भक्ति,सदगुरु बन भव-दुख हरते //
पूर्ण  कामना  करते हो  प्रभु अपनी झलक दिखाई / हर--  

मधुकर  जो गुप्तेश्वर  महिमा , नित्य  सुनेंगे गायेंगे /
साम्बसदाशिव कृपा प्राप्त कर , उनमें ही रम जायेंगे //
कट जाते  उनके  भव बन्धन , गुरु  से  दें  मिलवाई / हर--  


                                   उदयभानु तिवारी ''मधुकर''
                                  ५०१ दत्त एवेन्यू अपार्टमेंट
                                   नेपियर टाउन जबलपुर
                                  Mob.   9424323297




No comments:

Post a Comment