Tuesday, 13 September 2016




















                
                श्री कृष्ण भजन

जबसे कन्हाई  प्रीत लगाई  /
देखी सबसे ऊँची तेरी मिताई //

बरसे  आनंद  छलके ,भाव की गगरिया /
धुन  में मगन  है  मन, मस्ती  है  छाई //जबसे कन्हाई  ---
  
भक्ती है भक्ति  ,भक्ति में मस्ती /
मस्ती  में  झूमें  मन, रागिनी  समाई //जबसे कन्हाई-

तेरे  नाम का प्याला,जब से पिया है /
शारदा   ने शब्दों की,सलिला बहाई  //जबसे कन्हाई--

स्वप्न  ये  जगत  लागे , झूठी  सगाई /
जबसे   कन्हाई  , प्रीत  लगाई //जबसे कन्हाई

सुख  है  न  दुख  कोई कामना  नहीं  है / 
प्रेम   की  बदरिया ,  नयनों   में  छाई //जबसे कन्हाई

सब  जग  तुम  में , तुम  ही जगत में /
''मधुकर'' में मनहर की ,छवि  है समाई //जबसे कन्हाई

माया  का  परदा , हटा  के  जो  देखा /
तेरी   झलक  देती , सब  में दिखाई //जबसे कन्हाई


                         डॉ उदयभनु तिवारी ''मधुकर''

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