श्री कृष्ण भजन
जबसे कन्हाई प्रीत लगाई /
देखी सबसे ऊँची तेरी मिताई //
बरसे आनंद छलके ,भाव की गगरिया /
धुन में मगन है मन, मस्ती है छाई //जबसे कन्हाई ---
भक्ती है भक्ति ,भक्ति में मस्ती /
मस्ती में झूमें मन, रागिनी समाई //जबसे कन्हाई-
तेरे नाम का प्याला,जब से पिया है /
शारदा ने शब्दों की,सलिला बहाई //जबसे कन्हाई--
स्वप्न ये जगत लागे , झूठी सगाई /
जबसे कन्हाई , प्रीत लगाई //जबसे कन्हाई
सुख है न दुख कोई कामना नहीं है /
प्रेम की बदरिया , नयनों में छाई //जबसे कन्हाई
सब जग तुम में , तुम ही जगत में /
''मधुकर'' में मनहर की ,छवि है समाई //जबसे कन्हाई
माया का परदा , हटा के जो देखा /
तेरी झलक देती , सब में दिखाई //जबसे कन्हाई
डॉ उदयभनु तिवारी ''मधुकर''
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