Thursday, 3 November 2011

आश दीप


                     आश दीप 

जगे आश दीपों से भावों का  रेत महल 
किसने  बनाकर  अजीब   रंग  ढाला है 
सम्मुख में होकर साकार मिले न मिले 
प्यार भरा शीतल  स्नेह मिले बार बार //१//

गुलशन  खिला  है  तूफानों  की  राहों   में 
माली है प्रहरी  पर मन  उसका  डिगता है 
सुमनों की छाहों   में  सार  मिले  न मिले 
कलियों का मुस्काता प्यार मिले बार बार//२//

हिम की है गंगा पर गर्व है हिमालय को 
सागर से मिलने को पग उसका बढ़ता है 
जाग्रित अभिनन्दन संकेत मिले न मिले 
सागर का उफनाता प्यार मिले बार बार //३//

चलती   है  आँधी   है   नैया   थपेड़ों   में 
वेवस  है  माझी  पतवार   छूट  जाती  है 
सागर  में  नैया  को पार  मिले   न मिले 
ज्वारो का उफनाता प्यार मिले बार बार //४//

लहरों के  दर्पण  में  दीप  जले  तृष्णा  के 
माझी   रे डूबा  अब आशा  का  दीपक  है 
मधुकर के भावों को ज्योति मिले न मिले 
मौसम का उफनाता प्यार मिले बार बार //५//

डॉ उदयभानु तिवारी" मधुकर " 

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