आश दीप
जगे आश दीपों से भावों का रेत महल
किसने बनाकर अजीब रंग ढाला है
सम्मुख में होकर साकार मिले न मिले
प्यार भरा शीतल स्नेह मिले बार बार //१//
गुलशन खिला है तूफानों की राहों में
माली है प्रहरी पर मन उसका डिगता है
सुमनों की छाहों में सार मिले न मिले
कलियों का मुस्काता प्यार मिले बार बार//२//
हिम की है गंगा पर गर्व है हिमालय को
सागर से मिलने को पग उसका बढ़ता है
जाग्रित अभिनन्दन संकेत मिले न मिले
सागर का उफनाता प्यार मिले बार बार //३//
चलती है आँधी है नैया थपेड़ों में
वेवस है माझी पतवार छूट जाती है
सागर में नैया को पार मिले न मिले
ज्वारो का उफनाता प्यार मिले बार बार //४//
लहरों के दर्पण में दीप जले तृष्णा के
माझी रे डूबा अब आशा का दीपक है
मधुकर के भावों को ज्योति मिले न मिले
मौसम का उफनाता प्यार मिले बार बार //५//
डॉ उदयभानु तिवारी" मधुकर "
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