Tuesday, 8 November 2011

पतंजलि योग पीठ सन्देश


             पतंजलि योग पीठ सन्देश 
जागो दैव संपदा जागो तुम सब हो मनु की संतान/
 योग पीठ पातंजलि  के  स्थापक करते हैं आह्वान //

अत्याचारी   साह्सबाहु   से   हैं  संतप्त  सभी    इंसान 
परसुराम बन   परसु उठाओ करने को जनता की त्राण 
पहले  काया  करें निरोगी  योग  क्रिया का  लेके ज्ञान 
योगी मन उपयोगी होगा करने  जनता  का  कल्याण 
परसुराम के घोर परसु की शक्ति जगाओ करके ध्यान 
तब मन दृढ़ संकल्प करेगा  फूंकेगा जन गण में प्राण 
भारत स्वाभिमान  आन्दोलन  छेड़ें  करें  देश आह्वान 
जागो ''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''//१//

रामदेव  बाबा   का   सपना   सुन्दर  भारत  देश   महान 
योग  प्रशिक्षण लेके  करना  है भारत  का  नव   निर्माण 
सत्य   आचरण  जनता  भूली  संस्कार अरु अपनी शान 
राष्ट्रधर्म  की  शिक्षा  देकर  करें  प्रकाशित  इनका   ज्ञान 
सुलभ न्याय हो स्वच्छ प्रशासन कोई न बेचे यदि ईमान
राम   राज्य   आयेगा   निश्चय  हो  जायेगा  देश  महान 
जो निर्लिप्त रहें  कुर्सी  पर  भ्रष्ट  न  हों  ;हों न्याय प्रधान 
शीर्ष  पदों   पर   उनको  लायें  चलो   जगायें हिंदुस्तान 
जागो ''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''//२//

करें राष्ट्र  के  हित  का  चिंतन  राष्ट्रधर्म अपनी पहचान 
मातृभूमि  की  रक्षा में हम  कर  देंगे  यह  तन  कुर्वान 
यह संकल्प  ह्रदय  में  हो  तो नहीं डिगेगा फिर ईमान 
शुद्ध चित्त   हो  तब  जागेगा  अपने  अन्दर  का इंसान 
अन्य विदेशी  भाषाओँ  से   खूब  करो  अपना उत्थान 
किन्तु  राष्ट्र  की भाषा  हिंदी  को  देना  पहला   स्थान 
यह है लक्ष्य सुदृढ़ भारत का घर घर गूँज उठे यह गान 
चलो तिरंगा  ध्वज  फहरायें  करें  शहीदों का सम्मान 
जागो ''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''//३//

मिला  हमें  संयोग   योग  का  इससे  करलो  रोग  निदान
 आओ शक्ति जगायें  अपनी  योग  क्रिया  से   लेकर  ज्ञान 
अस्थिर चित  स्थिर हो जाये मिले शांति सुख़ मिटे गुमान 
चित्त प्रसन्न   रहेगा   बन्दे  करे  ब्रह्म  का  यदि  तू  ध्यान 
जोर जोर भर  रहा तिजोरी  बढ़ा  रहा  मन  का  अभिमान
सोचो संग  क्या  ले  जाओगे  जब  त्यागोगे  अपने  प्राण 
दान धर्म  की  पूँजी "  मधुकर "कर  देती  है जन कल्याण 
मिले उसे व्ह  संचित  होकर   जब  आयें नव तन में प्राण 
जागो '''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''//४//

डॉ    उदयभानु तिवारी "मधुकर "

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