द्रोपदी चीर हरण
भाग्य बिना पुरुषारथ हारे कर्म करे कोई काम न आये
कृष्ण सहायक थे जिनके सोऊ द्यूत में राज्य और कोष गवाँये
भीष्म से भक्त महारथ भी अनरीत विलोकत शीश झुकाये
द्रोपदी चीर को खींचत दुष्ट दुशासन को कोई रोक न पाये //१//
भीम; युधिष्ठिर ;पार्थ को हेरत कोई न देखत नैन उठाये
वीर; नकुल; सहदेव सभी नत शीश नहीं कोई दौड़ के आये
हे जगदीश्वर ; केशव; माधव छूटत चीर कहाँ बिलमाये
दौड़ हरी मोरी राखहु लाज पुकार सुनी पल में प्रभु धाये //२//
दोहा
कृष्ण कृष्ण कह टेरती ; कृष्णा बारम्बार /
सभा अचंभित देखती अम्बर बढ़ा अपार //
जिसमें डूबी द्रोपदी ;लगा वस्त्र अम्बार/
भीष्म; द्रोण अरु विदुर निज; हर्ष न सके सम्हार //
दस सहस्त्र गजबल थका; खिंचा न पच गज चीर/
सरिता सी साड़ी बढ़ी ; पत राखी यदुवीर //
सवैया
हे गिरिधारी मुरारी दयानिधि दीन पुकार की गूँज सुनाये
चीर बने घन श्याम दुशासन खीचत चीर का अंत न आये
गर्जत व्योम घटान बिना प्रतिमाओं ने नैनन नीर बहाये
रोवत स्वान सुना जबहीं घबराये विदुर नृप के ढिग आये
दोहा
हुये अशुभ संकेत बहु ; चेतहु अबहुँ नृपाल /
नाहित तव सुत शीश पर नाच रहा है काल //
सवैया
रोकहु तात अनर्थ हुआ यह चीर अनंत यही दर्शाये
धावहु वेगि सुदर्शन चक्र उठावत कृष्ण प्रकोप बताये
सुनके हुये भयभीत नृपाल सिंहासन छोड़ उठे अकुलाये
बैठ गये थक हार दुशासन भाग्य बली पुरुषार्थ हराये
दोहा
वस्त्र सिन्धु से ताहि क्षण ;प्रगटी द्रुपद कुमारि /
शीश जटा छिटकाय के बोली शब्द उचारि //
रूप हुआ विकराल जनु चंडी प्रगटी आय /
सभा मध्य निज घोर प्रणसब सन कहा सुनाय //
सवैया
हाथों से तूने जो केश गहे वह तेरी भुजा जब भीम उखारे
धोये बिना अब तेरे लहू से ये केश न बांधूगी शब्द उचारे
बोले सियार ;उलूक अमंगल ; भूप सुना रव घोर हुआ रे
कम्पित गात सशंकित सोचत देखे सुने नहिं ऐसे नजारे
दोहा
निज कुल क्षय शंका बढ़ी ;का चाहत करतार /
विस्मित सोचत चीर का; कौन बढ़ावनहार //
सकल दोष सुत शीश धरि ;प्रगट सनेह जनाय /
पुत्र वधू प्रिय द्रोपदी ; कहाँ कहेउ कुरुराय //
जाय निकट सम्मान कर; सब विधि शांत कराय /
धर्मव्रता कुल श्रेष्ठ तुम ; बोले नृप समझाय//
मैं प्रसन्न अति जान यह; तुम सम और न आन /
जो मन भावे माँग वह ; द्रुपदपुत्रि वरदान //
सचकित सुनि नृप की गिरा ;बोली लख पति दीन /
त्याग दासता स्वामि मम ;हो जायें स्वाधीन //
एवमस्तु धृतराष्ट्र कह ; सब सुत मोहिं समान /
पति हारे जो द्यूत में वह सब किया प्रदान //
डॉ उदय भानु तिवारी" मधुकर "
Wonderful composition
ReplyDeleteAlso read द्रौपदी की चीरहरण के दौरान द्रोण, कृपा और भीष्म चुप क्यों रहे? here https://hi.letsdiskuss.com/why-did-drona-kripa-and-bhishma-remain-silent-during-draupadi-s-rip-off
ReplyDelete