गणपति वंदना
पहले श्री गणपति गुण गाऊं /
पद वंदन कर शीश झुकाऊं //
बुद्धि विनायक गौरी नन्दन शुभ फल दायक हे जगवंदन
ज्ञान निधान भक्त चित रंजन प्रभो गजानन भव भय भंजन
ह्रदय सुमिरि प्रभु ध्यान लगाऊं ---------------------------//१//
शीश किरीट परसु कर भाये मंगल मूरति विघ्न नशाये
स्वर्ण कान्ति द्युति वरणि न जाये पीत वसन उपवीत सुहाये
स्तुति कर प्रभु तुम्हें मनाऊं ------------------------------//२//
जय जय जय हे मंगलकर्ता प्रभु तुम रिद्धि सिद्धि के भर्ता
प्रथम पूज्य ;दानव संहर्ता ;भुवन दीप्ति सब संशय हर्ता
भाव सुमन प्रभु चरण चढाऊं ----------------------------//३//
जय लम्बोदर कलि अघहारी ;माँ गिरिजा के आज्ञांकारी
मधुकर है प्रभु शरण तुम्हारी ;करें कामना पूर्ण हमारी
भजन करत प्रभु बलि बलि जाऊं ---------------------//४//
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