अधियज्ञ तुम्हारे अन्दर है , सदगुरु से ज्ञान जगा लेना //
संसारी मानव जाग रहा , सब नश्वर चीजें पाने को /
ईश्वर है उनके लिये निशा, भ्रम होता सभी ज़माने को //
जो चाहो ईश्वर पाना तो , सदगुरु से लगन लगा लेना /
दुर्लभ है ------------------------------------------//१//
है योगी को संसार निशा , वह जागे ईश्वर पाने को /
जो दिखता है वह दिवा स्वप्न, इस जीवन को भरमाने को //
है गीता का संदेश यही , मन भाये तो अपना लेना /
दुर्लभ है -----------------------------------------//२//
है व्याप्त ब्रह्म जो कण कण में, हिय प्रेम उसे प्रगटाता है /
जो भक्त न कुछ माँगे उसका, अर्पित भोजन वह पाता है //
है सदगुरु उस पथ का राही, मन उसको मीत बना लेना /
दुर्लभ है ---------------------------------------- //३//
जब तक तू मोहनिशा में है,निज हिय की शक्ति नहीं जागे /
बीते जब मोहनिशा तेरी , अंतर्मन प्रभु र्में अनुरागे //
आसक्ति घटे चित स्थिर हो , तब योग में लगन लगा लेना /
दुर्लभ है ------------------------------------------//४//
स्वारथ के रिश्ते , नाते हैं , ये ही मन को भरमाते हैं /
सत , रज , तम ये तीनों गुण, मनकी आसक्ति बढ़ाते हैं //
यदि चाह रहे भवफन्द कटे , आत्मा से मेल बढ़ा लेना /
दुर्लभ है -----------------------------------------//५//
अनमोल रतन तन तेरा है, जब जागे तभी सवेरा है /
है ब्रह्म तुम्हारे अन्दर ही , बाहर माया का फेरा है //
हे भ्रमित बुद्धि प्रभु चिंतन से निज चित्त की शुद्धि करा लेना /
दुर्लभ है ----------------------------------------//६//
दान , धर्म , सत्कर्मों की , पूँजी तेरे सँग जायेगी /
और जो संग्रह किया यहाँ , वह यहीं धरी रह जायेगी //
रे मानव अगले जन्म का निज, कर्मों से भाग्य लिखा लेना /
दुर्लभ है ----------------------------------------//७//
है निराकार साकार वही ,जो ,जिसका ,ध्यान लगाता है /
वह उसी रूप को प्रगट करे , जो जिसके मन को भाता है //
सब में जो अच्छा लगे तुम्हें , हिय में वह रूप बसा लेना /
दुर्लभ है ---------------------------------------//८//
कर्तव्य कर्म से जो पाये , वह ग्रहण करे नहिं ललचाये /
निर्लिप्त रहे इस दुनिया में , वह मानव योगी कहलाये //
कहता हूँ गीता तत्व सखे , इसमें अनुराग बढ़ा लेना /
दुर्लभ है ----------------------------------------//९//
जो योगी योग सिद्धि पाये, योगेश स्वयं वह हो जाये /
सब सृष्टि लखे निज अन्तर में,अरु अंतर्यामी कहलाये //
''मधुकर'' में केशव सदगुरु बन योगी की ज्योति जला देना /
दुर्लभ है --------------------------------------//-१० //
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