Tuesday, 19 August 2014
















कर्म फल

है दृश्य जगत जब तक तब तक अनुरागी आते जायेंगे

फल कर्मों के अनुरागी को सदगुरु बन कृष्ण सुनायेंगे//

 

राम   कृष्ण   ईसा   मूसा,  पैगम्बर   दे   पैगाम   गये   
गौतम महावीर नानक, फहराय ध्वजा निज धाम गये 
योगी  ज्ञानी  ध्यानी,  योगेश्वर  का  दे  कर  नाम  गये
तुलसी सूर कबीरा  मीरा, रसमय  कर  प्रभु  धाम  गये 
उस रस का अमृतमय प्याला,निज मुख से छलकायेंगे /
फल कर्मों -----------------------------------------//१//

यहजग नाटक का मंच सखे,जहाँ पात्र उतारा जाता है
पूर्व जन्म का  लिखा भाग्य , साकार कराया  जाता है 
देता है दोष विधाता को, निज करनी का फल पाता है
पूर्व कर्म निज भूल  गया,  अब रोता  है  पछताता  है 
यह सब क्यों कैसे होता है,हम तुम्हें बता कर जायेंगे /
फल कर्मों --------------------------------------//२// 

मानव  के  उपकार  कर्म  सब , संचय  होते  जाते  हैं 
पूर्व  जन्म  के  दिये  दान, उत्तम  घर  में  ले आते  हैं 
जो  पहले  करते   है  चोरी, छीन  छीन  कर  खाते हैं 
ऐसे  प्राणी  तन  धारण  कर, निर्धन  के  घर आते हैं 
जो   देंगे  संताप   प्राणियों   को , दुख  पाने  आयेंगे /
फल कर्मों ---------------------------------//३//

दानी  धर्मी  के  भी  मन  में, अहंकार  जब  आता  है 
ऊँची श्रेणी में  जाकर  वह , फिर  नीचे गिर  जाता है 
सिद्धि प्राप्त करने वाला जब, चमत्कार  दिखलाता  है 
ब्रह्म प्राप्ति के पथ से हटकर, अपनी  शक्ति  गवाँता है 
यह रहस्य हरि अनुकम्पा बिन, कोई जान न पायेंगे/
फल कर्मों ------------------------------------//४//

साँसारिक सुख  भोग  सृष्टि  में  दुख  के  हेतु  बनाये हैं 
विषयी मन  को अच्छे लगते   जिसमें  जीव  लुभाये हैं 
हरि गुणगान उन्हें नहिं भाये त्रिगुण उनको बिलमाये हैं        
यह अद्भुत रस वे नहिं  पायें  गुण  उनको  बिलमाये  हैं
हम   मुस्काते   तुम्हें   हँसाते   रस  छलकाते  जायेंगे /
फल कर्मों ----------------------------------------//५//

जो जो भाव ह्रदय धारण कर अंत समय में तन त्यागे 
वह  प्राणी  वे  भाव  लिये   भूमण्डल  में  जन्में  आगे 
ईर्षा  द्वेष  दम्भ  बदले  के   भावों   में   यदि  अनुरागे 
वैसा ही वह कर्म  करे  फिर  बुद्धि  विवेक  नहीं  जागे 
''मधुकर'' यह  सदगुरु  की  वाणी  बार  बार दुहरायेंगे / 
फल कर्मों ----------------------------------------//६// 

                            उदय भानु तिवारी ''मधुकर ''

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