
योगी हैं भोले भंडारी /
करते ध्यान नित्य त्रिपुरारी //
गले भुजंग जटा में गंगा, शीश पै चन्द्र सुहाये
तन भभूत ,बाघम्बर सोहे , माथे त्रिपुण्ड लगाये
कर त्रिशूल अरु डमरू,कमंडल,माल,चतुर्भुज धारी
योगी हैं ----------------------------------------//१//
जब तांडव करते हैं शिव , हो स्थति प्रलयंकारी
नयन तीसरा जब खोलें हो भस्म ,दृष्टि जहँ डारी
महादेव हैं स्रष्टि सँहारक , गति इनकी लयकारी/
योगी हैं ---------------------------------------//२//
जिस पर हों प्रसन्न ये देते, उसे शक्तियाँ सारी
स्वयं रहें कैलाश शैल पर ,भक्त को महल अटारी
ऐसे अवघड़दानी भोले , शंकर हैं अविकारी/
योगी हैं ------------------------------------ //३//
वीरभद्र,हनुमान औ भैरव , रुद्र हैं महा प्रतापी
इनके सम ना वीर सृष्टि में , दुष्टों के संतापी
रे''मधुकर''भज अघहर हर हर महाकाल भयहारी/
योगी हैं ------------------------------------- //४//
उदयभानु तिवारी ''मधुकर ''
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