गोवर्धन धारण
मोहन कृष्ण मुरारी ,करो रक्षा हमारी //
मोहन कृष्ण मुरारी ,करो रक्षा हमारी //
उमड़ घुमड़ घन जल बरसायें
वज्रपात कर इंद्र डरायें /
पवन वेग है भारी /
करो रक्षा हमारी //मोहन //१//
बहे जात धन धेनु हमारे
पार लगाओ मुरली वारे/
आये शरण तुम्हारी
नटवर बनवारी //मोहन --//२//
बोले कान्हा मत घबराओ
सब मिल मेरे पीछे आओ/
गिरिवर संकटहारी
चलें सब नर नारी//मोहन --//३//
गोवर्धन पर सब को लाये
अँगुली पर गिरिराज उठाये
विपदा सबकी टारी
गोवर्धन धा री //मोहन//४//
तड़ तड़ ध्वनि कर घिर घिर के घन
जल बरसाते रहे सात दिन
कुछ नहीं सके बिगारी
''मधुकर '' हंकारी//मोहन -//५//
थमी वृष्टि घन गगन विलाये
सब ब्रज वासी बाहर आये
गूँजे ध्वनि जयकारी
जय जय गिरिधारी //मोहन --//६//
उदयभानु तिवारी'' मधुकर ''
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