Saturday, 2 August 2014

गोवर्धन धारण 

मोहन कृष्ण मुरारी ,करो रक्षा हमारी //

उमड़ घुमड़ घन जल बरसायें 
वज्रपात   कर   इंद्र     डरायें /
पवन   वेग   है  भारी / 
 करो    रक्षा   हमारी //मोहन //१//

बहे जात  धन धेनु हमारे 
पार  लगाओ  मुरली वारे/ 
आये शरण तुम्हारी 
नटवर      बनवारी //मोहन --//२//

बोले कान्हा मत घबराओ 
सब मिल मेरे पीछे आओ/ 
गिरिवर         संकटहारी
चलें    सब    नर    नारी//मोहन --//३//

गोवर्धन  पर  सब को लाये 
अँगुली पर गिरिराज उठाये 
विपदा सबकी टारी 
गोवर्धन       धा री //मोहन//४//

तड़ तड़ ध्वनि कर घिर घिर के घन
जल   बरसाते     रहे    सात   दिन    
कुछ  नहीं  सके बिगारी 
''मधुकर ''         हंकारी//मोहन -//५//

थमी वृष्टि घन गगन विलाये 
सब  ब्रज  वासी  बाहर  आये
गूँजे  ध्वनि जयकारी 
जय  जय  गिरिधारी //मोहन --//६//

        उदयभानु तिवारी'' मधुकर '' 

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