प्रभु उनके लक्षण समझायें //
तम,सत,रज ये तीनों गुण हैं मोह ,प्रकाश ,प्रवृत्ति
जान इन्हें आसक्ति गुणों की,इनसे जिन्हें विरक्ति
ईर्षा , द्वेष , दम्भ के उनमें भाव कभी नहिं आयें /
जो नर ------------------------------------------//१//
और निवृत्ति काल में भी जो, रहें कामना हीना
उदासीन इस जग में विचरें,विषयी भाव विहीना
गुण ही गुण में बरत रहे हैं यही भाव मन आयें/
जो नर ---------------------------------------//२//
सुख औ दुख में भी जो सम हैं निज आत्मा में रमते
मिट्टी ,सोना ,पत्थर उनको सब समान ही लगते
अप्रिय और प्रिय ,निंदा , स्तुति में सम भाव दिखायें/
जो नर ---------------------------------------------//३//
मान,अपमान,शत्रु ,मित्र में,मन सम भाव दिखाये
एक भाव में स्थित रह कर ध्यान में लगन लगाये
कर्तापन के भाव न ''मधुकर''उनके मन में आयें/
जो नर ------------------------------------------//४//
उदयभानु तिवारी ''मधुकर ''
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