
कालिया नाग मद मर्दन
बन गोकुल में धेनु चरैया ,लीला करते कृष्ण कन्हैया
जिनके शेष नाग हैं भैया,आनंद मगन यशोदा मैया
नन्द गाँव अति प्यारो लागे
प्रकृति हुई मनहारी
तरुवर बन सुर सेवा करते
झुकीं फूल फल डारी
मृग शावक भर रहे कुलाँचें, पवन चले पुरवैया/
लीला करते कृष्ण कन्हैया-----------------//१//
पंछी हरि गुणगान करें
वन शोभा कही न जाती
हरि छवि देख मोरनी नाचें
कोयल गाये प्रभाती
काली दह को मुक्त कराने चले नन्द के छैया/
लीला करते कृष्ण कन्हैया--------------- //२//
भाँति भाँति के पुष्प मनोहर
रिझा रहे कुंजन में
पी पी पुष्प पराग भृंग सब
गुंजन करते वन में
यमुना तीरे तरु के ऊपर , बैठे वेणु बजैया /
लीला करते कृष्णया कन्हैया ------------//३//
उबल रहा था यमुना का जल
कालीदह में देखा
वहाँ कालिया नाग छिपा था
तनी फणों की रेखा
कूद पड़े गोपाल बोल के हर हर यमुना मैया /
लीला करते कृष्ण कन्हैया--------------- //४//
करत किलोल कृष्ण लख जल में
नाग कालिया आया
सुन्दर मनमोहन की छवि ने
मन में मोह जगाया
निर्भय रहे खेलते जल में मातु यशोदा छैया /
लीला करते कृष्णया कन्है --------------//५//
धाया विषधर नाग उठा फण
बालक समझ लपेटा
प्रथम रहे निश्चल मनमोहन
फिर धर नाग चपेटा
निकल फंद से फण के ऊपर, नाचें ताता थैया/
लीला करते कृष्ण कन्हैया -------------- //६//
धित्त धा धा धित्त धा धा
तिरकिट तिरकिट धित्त धित्त
ताल बद्ध कालिया
फणों पै थाप मारें
छूम छनक छ्नक छूम
छनक छूम छनक छूम
छुन्न छुन्न कान्हा
के नूपुर उचारें
क्रोधित नाग, न फण उठ पावे काल बने ब्रज छैया/
लीला करते कृष्ण कन्हैया ---------------------//७//
जो फण उठे कृष्ण धर दाबें
वजन हुआ अति भारी
नाग कालिया विकल, टूट गई
तन की हिम्मत सारी
त्राहिमाम ,मोहन मत मारो शेषनाग के भैया /
लीला करते कृष्ण कन्हैया --------------- //८//
जोरि पाणि कर रहीं प्रार्थना
नागिन हे बनवारी
क्षमा करें हे नटवर नागर
हम हैं शरण तुम्हारी
''मधुकर''अभय दिया विनती सुन, ब्रज के रास रचैया/
लीला करते कृष्ण कन्हैया ---------------------- //९//
किया गरुड़ भयमुक्त कालिया
रमणक द्वीप पठाया
यमुना का जल निर्मल करके
सारा जहर हटाया
काली कमली वाले कान्हा संकट मुक्ति करैया/
लीला करते कृष्ण कन्हैया ---------------//१०//
उदय भानु तिवारी ''मधुकर ''
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