मैं अब भटक भटक कर हारो //
जो पाना चाहे प्रभु तुमको , तुमही जिज्ञासा दो मन को
जिनकी अँखियाँ तव दर्शन को ,प्यासी रहतीं उन भक्तों को
तुम ही देत सहारो/
केशव -----------//१//
हे मुरलीधर,गिरिधर,मनहर, ज्ञान प्रकाश ज्योति से नटवर
मेरे अंतर्मन का तम हर , चंचल मन की गति स्थिर कर
तुम सदगुरु बन तारो/
केशव --------- //२//
निशि दिन लगा लगा नव फेरे, तेरी माया अविरल घेरे
भव भ्रम भँवर ओर नित प्रेरे , तुम पितु ,मातु सखा हो मेरे
मोहिं गहि बाँह उबारो /
केशव -------------//३//
ध्रुव,प्रहलाद,पार्थसम निश्छल, हिय में भक्तिभाव भर निर्मल
बरसाओ आनँद घन का जल, दर्शन दो मधुकर मन विहवल
अनुकम्पा कर तारो /
केशव -----------//४//
उदयभानु तिवारी ''मधुकर''
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