
महा आरती दृष्य वर्णन
आरती का समय हुआ ,गूँज उठा शोर /
चले भक्त पुण्य सलिल रेवा की ओर//
जिनके हर कंकर हैं, शंकर पुरारी
साधु,संत , सिद्धों की पालनहारी
भक्तिभाव की तरंग ,लेती हिलोर /
चले भक्त ----------------------//१//
रेवा के तट पर हैं पुण्य तीर्थ सारे
दीपदान भव्य लगें , देखो नज़ारे
भावों में भींज रहीं, नैनों की कोर
चले भक्त -------------------//२//
मैया के तट पर हैं देवों के मंदिर
दर्शनकी आश लिये आते पुरंदर
रेवा हैं चन्द्रमा , भक्त हैं चकोर
चले भक्त ------------------//३//
मिलजुल के भक्त सभी आरती उतारें
दिव्य वेद-वाणी बोल-बोल स्वर उचारें
भाव भक्ति लहर उठें , सब हैं विभोर
चले भक्त ---------------------- //४//
आरती की लौ के संग, संग झूम जायें
मन थिरके सभी भक्त ,झूम झूम गायें
''मधुकर'' का मन पतंग, नर्मदा हैं डोर
चले भक्त ------------------------ //५//
हर हर हर नर्मदे ,स्वर की गूँज भारी
नमो नमो नमो नमः रेवा कुवाँरी
करदो भव पार भक्त , करते निहोर
चले भक्त -----------------------//६//
उदयभानु तिवारी ''मधुकर ''
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