Thursday, 7 August 2014

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महा आरती दृष्य वर्णन 

आरती का समय हुआ ,गूँज उठा शोर /
चले भक्त पुण्य सलिल रेवा  की  ओर//
जिनके हर कंकर हैं, शंकर पुरारी 
साधु,संत , सिद्धों की पालनहारी 
भक्तिभाव की तरंग ,लेती हिलोर /
चले भक्त ----------------------//१//

रेवा के तट पर हैं पुण्य तीर्थ सारे 
दीपदान भव्य लगें , देखो नज़ारे 
भावों में भींज रहीं, नैनों की कोर 
चले भक्त -------------------//२//

मैया के तट पर हैं देवों के मंदिर
दर्शनकी आश लिये आते पुरंदर
रेवा हैं चन्द्रमा , भक्त  हैं चकोर
चले भक्त ------------------//३//
मिलजुल के भक्त सभी आरती उतारें 
दिव्य वेद-वाणी बोल-बोल स्वर उचारें
भाव भक्ति लहर उठें , सब हैं विभोर
चले भक्त ---------------------- //४//

आरती की लौ   के संग, संग झूम जायें 
मन थिरके सभी भक्त ,झूम  झूम गायें 
''मधुकर'' का  मन पतंग, नर्मदा हैं डोर
चले भक्त ------------------------  //५//

हर हर हर नर्मदे ,स्वर की गूँज भारी 
नमो  नमो  नमो  नमः  रेवा कुवाँरी
करदो  भव पार भक्त , करते  निहोर 
चले भक्त -----------------------//६//

       उदयभानु तिवारी ''मधुकर ''      

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