रहो मन मोहन संग हमारे /
तुम बिन भव से कौन उबारे//
तुम ही सदगुरु सखा सहारे
हे त्रिभुवन के पालन वारे
घेर रहे अँधियारे
रहो ---------------//१//
माया तुम्हारी मन भरमाये
पग पग पर ये लोभ दिखाये
भटक भटक हम हारे /
रहो ---------------//२//
ध्यान करूँ तो विघ्न मचाये
भजन करूँ तो शोर सुनाये
सुमिरत नाम बिसारे/
रहो ----------- //३//
मैं जप योग यज्ञ नहिं जानूँ
रमे राग में तुम हो मानूँ
मोहन मुरली वारे /
रहो-------------//४//
सूरदास , मीरा के गिरिधर
भक्ति भाव बन बहते झर झर
''मधुकर'' रसिक तुम्हारे/
रहो -----------------//५//
उदयभानु तिवारी ''मधुकर ''
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