आज़ाद करेगी शह्ज़ादी , वापस अपने घर जायेंगे /
आ रही हमारी मंजिल फिर, तन बसन बदल कर आयेंगे //
वासी उसी देश के हम ,नित रहता जहाँ सवेरा है
राह भटक कर कैद हुए ,हैं जहाँ ये रैन बसेरा है
हो रही भोर अब नेह का नाता स्वजन निभाने आयेंगे / ,
आ रही हमारी मंजिल------------------------------------//२//
हो रहा ये घर जर्जर इससे , शहज़ादी मुक्त करायेगी
सम्मान सहित ले जाने को ,वह शाल सुमन मगवायेगी
चार कहारों के कन्धों पर, हम सज धज कर जायेंगे /
आ रही हमारी मंजिल-----------------------------------//३//
बैठें जब हम डोली में तो , हमको शाल उढ़ा देना
कहके फिर अलविदा सुमन ,श्रद्धा के हमें चढा देना
देना संग अन्त तक अब हम, नहीं लौट कर आयेंगे /
आ रही हमारी मंजिल--------------------------------//४//
ठहरा अग्नि विमान जहाँ हो ,मेरी डोली ले जाना
छोड़ अकेला मुझे यान पर ,तुम सब वापस आ जाना
राम नाम जपते जो जाते , देवयान वे पायेंगे /
आ रही हमारी मंजिल--------------------------------//५//
दुखित हुआ हो मन हम से तो ,सब मिल मुझे क्षमा देना
आये याद हमारी जब , गीतों को मीत बना लेना
बगिया से उड़कर अब मधुकर , गीतों में रह जायेंगे /
आ रही हमारी मंजिल----------------------------------//६//
उदयभानु तिवारी ''मधुकर''
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