जब से कन्हाई तुमसे प्रीत लगाई /मुझे तेरी भक्ति कहाँ लेके आई //
बरसे आनन्द छलके, भाव की गगरिया
धुन में मगन है मन मस्ती है छाई //मुझे तेरी ----
भक्ति है भक्ति , भक्ति में मस्ती
मस्ती में डूबा मन , रागिनी समाई //मुझे तेरी -----
तेरे नाम का प्याला जब से पिया है
हिय में झलक तेरी देती दिखाई //मुझे तेरी ----
लीलाओं ने मेरा मानस जगाया
शारदा ने शब्दों की सलिला बहाई //मुझे तेरी ---
शारदा ने शब्दों की सलिला बहाई //मुझे तेरी ---
स्वप्न ये जगत लागे झूठी सगाई
जब से कन्हाई तुमसे प्रीत लगाई //मुझे तेरी ----
सुख है न दुख कोई कामना नहीं है
प्रेम की बदरिया नयनों में छाई //मुझे तेरी ----
सब जग तुम में तुम ही जगत में
''मधुकर'' में मनहर, की द्विति है समाई //मुझे तेरी ----
माया का परदा. हटा के जो देखा
सब में झलक तेरी देती दिखाई//मुझे तेरी ----
उदयभानुतिवारी ''मधुकर ''
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