केशव ! दुख-भव सिन्धु उतारो /
मैं अब भटक भटक का हारो //
जो पाना चाहे प्रभु तुमको , तुम ही जिज्ञासा दो मन को /
जिनकी अंखियाँ तव दर्शन को , प्यासी रहतीं उन भक्तों को //
तुम हीं देत सहारो /
केशव --------------------------//
हे मुरलीधर ,गिरिधर ,मनहर, ज्ञान प्रकाश ज्योति से नटवर /
मेरे अन्तर्मन का तम हर , चंचल मन की गति स्थिर कर //
तुम सदगुरु बन तारो /
केशव --------------------------//
निशिदिन लगा लगा नव फेरे, हरि तव माया अविरल घेरे /
भव भ्रम भवँर ओर नित प्रेरे , तुम पितु , मात , सखा हो मेरे //
मोहिं गह बाँह उबारो /
केशव -------------------------//
ध्रुव,प्रहलाद ,पार्थ सम निश्छल ,हिय में भक्ति भाव भर निर्मल /
बरसाओ आनँदघन का जल, दर्शन दो ''मधुकर'' मन विहवल //
अनुकम्पा कर तारो /
केशव ----------------------- //
उदयभनु तिवारी ''मधुकर''
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