Thursday, 25 August 2016












कहाँ छिपे गिरिधारी 

कहाँ छिपे गिरिधारी, ये  ढूढ़ रहीं सखियाँ तुम्हारी /
हम विपदा की मारी सुनो हो श्याम विनती हमारी //

खोज थकीं हम कुञ्ज गलिन में /
कहाँ  छिपे  जा  तुम  निर्जन में //
कहाँ  हैं  राधा प्यारी ,ये  ढूँढ रहीं  सखिंयाँ  तुम्हारी /  
हम विपदा की मारी सुनो हो श्याम विनती हमारी //

तुम बिन यमुना  तट  ना भाये /
विरह  तुम्हारा   सहा  न  जाये //
हे   पीताम्बरधारी ,  ये  ढूँढ   रहीं  सखियाँ  तुम्हारी /
 हम विपदा की मारी,सुनो हो श्याम विनती हमारी //

हम   हैं  मीन  और  तुम  जल  हो 
तुम बिन फिरतीं सभी विकल हो 
भक्तों के  प्रेम पुजारी , ये  ढूँढ रहीं सखियाँ तुम्हारी /
हम विपदा की मारी सुनो हो श्याम विनती हमारी //

लता, कुञ्ज, तरु,रात की रानी /
देखे       तुमने        सारँगपानी //
मधुकर मुकुन्द रस वारी,ये ढूँढ रहीं सखियाँ तुम्हारी / 
हम विपदा की मारी, सुनो  हो श्याम विनती  हमारी //


उदयभानु तिवारी ''मधुकर'' 


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