कृष्ण भजन
बनाले कान्हा को मन मीत , हृदय में गूँजेगा संगीत /
धुन में जब रम जायेगा , वह अनुभव में आयेगा //
जैसे मीरा ने की प्रीत , वाणी से केशव के गीत /
भाव की सरिता से बह निकले,गूँजें जग को करें पुनीत //
वह जब हृदय समायेगा , अन्तरशक्ति जगायेगा /
बनाले कान्हा को मन मीत , हृदय में गूँजेगा संगीत //
जैसे तुलसी सूर ,कबीरा ,जिन्हें न व्यापी भव की पीरा /
वैसे तू भी रमजा बन्दे ,सुख तो पाये सदा फकीरा //
कृष्ण में जब रम जायेगा , भव सुख तुझे न भायेगा /
बनाले कान्हा को मन मीत , हृदय में गूँजेगा संगीत//
जप ,तप भजनों में अनुरागे ,मोहासक्ति तुम्हारी भागे /
हो जायेगा ये मन वश में,तब तू ईश्वर के हित जागे //
''मधुकर'' जब वह आयेगा , दुख-भव पार करायेगा /
बनाले कान्हा को मन मीत,हृदय में गूँजेगा संगीत //
उदयभानु तिवारी ''मधुकर''
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