Wednesday, 24 August 2016
















श्रीकृष्ण भजन 

जब  बढ़ी  कृष्ण से  प्रीत , यह मन सुख माने /
बह  चले  भावमय  गीत , ह्र्दय  से  अनजाने //

ब्रह्मज्ञान ने  किया सबेरा /
मिटा मोह माया का घेरा // 
मोहन   हो   गये   मीत , दुनिया  क्या  जाने /
बह  रहे  भावमय  गीत ,  ह्र्दय  से अनजाने //

बैठ ध्यान में अन्तर झाँका /
खींच रही  थी  प्रीत पताका //
ले  गई  मन  को  जीत , दुनिया  क्या  जाने /
बह चले  भावमय गीत , ह्र्दय  से अनजाने // 

बाहर  का  जग  उसकी   माया /
अन्दर   तो   है   वही   समाया //
मन  को  हुआ  प्रतीत , दुनिया  क्या  जाने /
बह चले  भावमय गीत, ह्र्दय  से अनजाने // 

आनँद के  घन  घिर  घिर आयें /
झूमें   मन   दृग  जल  बरसायें //
ओंकार   के   गीत  ,  दुनिया    क्या   जाने /
बह चले  भावमय गीत, ह्र्दय  से अनजाने //

मधुकर, धारा  बही भजन की /
सुध बुध भूल गई तन मन की //
आत्मतत्व   संगीत ,  दुनिया   क्या  जाने / 
बह चले  भावमय गीत, ह्र्दय  से अनजाने //


                        उदयभानु तिवारी ''मधुकर'' 

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