Thursday, 25 August 2016


















लगन ये टूटे ना  

करले   मन   सत्संग   लगन   ये  टूटे  ना /
तू  पतंग   हरि   डोर   संग   ये   छूटे   ना //

पग   पग  पर  माया   के   घेरे /
लोभ  दिखाकर  मन  को  फेरे //
अपने  रस   का   रंग  चढा   के  लूटे   ना /
करले   मन   सत्संग  लगन  ये  टूटे  ना //

आत्मा में निज वास बना  ले /
अपना  अन्तःकरण जगा  ले //
होय  मोह  जब भंग , रंग फिर छूटे ना /
करले   मन  सत्संग  लगन  ये  टूटे  ना //

तू   है   कौन  कहाँ   से  आया /
जाना  कहाँ  पन्थ  भटकाया //
मधुकर सदगुरु  संग बिना जग छूटे ना /
करले  मन  सत्संग   लगन  ये  टूटे  ना //


                उदयभानु तिवारी ''मधुकर'' 



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