बसंत की बहार
बाग कुञ्ज उपवन में आगई बहार
हमको ले संग चलो नदिया के पार
बाँग दई मुर्गे ने छोड़ो सिजरिया 'पनघट को चलीं गोरी लेके गगरिया /
बोलरही कोयलिया अमवा की डार हमको ले संग चलो नदिया के पार //
बाग कुञ्ज उपवन में आगई बहार /
हमको ले संग चलो नदिया के पार// //१//
उठो बलम भोर भई डूबी तरैयाँ पूरब पव फटन लगी चहकें चिरैयाँ /
सिमट चली चांदनी चंदा के द्वार हमको ले संग चलो नदिया के पार //
/बाग कुञ्ज उपवन में आगई बहार /
हमको ले संग चलो नदिया के पार//२//
महक उठी गली चले भ्रंग गुनगुनायके', मंद पवन चले कहें सुमन मुस्कुराय्के /
अमृत रस कलश धरे अमवा की डार , ,हमको ले संग चलो नदिया के पार//
/बाग कुञ्ज उपवन में आगई बहार /
हमको ले संग चलो नदिया के पार//३//
सास ससुर ननद सोये अपनी कुठरिया ,चुपके से सरक चलो परे न नजरिया /
लागे न घर में अब जियरा हमार ,हमको ले संग चलो नदिया के पार//
/बाग कुञ्ज उपवन में आगई बहार /
हमको ले संग चलो नदिया के पार//४//
बरगद की छइयां अकेले में सैयां ,प्यार भरी बतियाँ कर लूंगी बलैयां /
फूलों से करना तुम मेरा श्रंगार ,हमको ले संग चलो नदिया के पार //
बाग कुञ्ज उपवन में आगई बहार /
हमको ले संग चलो नदिया के पार//५//
सकुचाय कहे दाब दाँतों में अँचरा,जुड़े में गूंथुंगी फूलों का गजरा /
महक उठे तन रस की झरती फुहार ,हमको ले संग चलो नदिया के पार //
बाग कुञ्ज उपवन में आगई बहार /
हमको ले संग चलो नदिया के पार//६//
तुम बनना मोहन औ मैं बनके राधा ,नाचूँगी मधुवन में गाऊंअबाधा /
गागर में सागर सा भर देना प्यार हमको ले संग चलो नदिया के पार
गागबाग कुञ्ज उपवन में आगई बहार /
हमको ले संग चलो नदिया के पार//7//
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