आहत जीवन चल रहा है
सत्यमेव जयते का नारा
हो रहा है बे सहारा
आज गौरव मय प्रभा
पौरुष का सूरज ढल रहा है
आहत जीवन चल रहा है //१//
बढ रहा हर पल अँधेरा
हो रहा है जग लुटेरा
दानवों का क्रूर खंजर
मानवों पर चल रहा है
आहत जीवन चल रहा है //२//
लगत बैहर के थपेड़े
तिमिर छुप छुप आन छेड़े
दीप के साए में पलता
है ;वही पथ छल रहा है
आहत जीवन चल रहा है //३//
दम्भता का राग आया
ईर्षा अरु द्वेष छाया
हर तरफ नफरत की ज्वाला
में पिघल तन जल रहा है
आहत जीवन चल रहा है //४//
न्याय ने सबको नचाया
मिट रहीं अनमोल काया
अपराध कर कैदी हो बाहर
पथ में निर्भय चल रहा है
आहत जीवन चल रहा है //५//
मँहगा है अबका जमाना
कह रहा है हर फसाना
आडम्बर की शाल ओढ़े
सिमटा सिमटा चल रहा है
आहत जीवन चल रहा है //६//
कर की चोरी घूस खोरी
बँध गई जीवन से डोरी
मधुकर जो इनसे अलग
जल बिन विकल सा चल रहा है
आहत जीवन चल रहा है //७//
साज औ श्रंगार निखरे
गीत अब गदद्यों में बिखरे
अब पुरातन काव्य दीपक
टिम टिमाता जल रहा है
आहत जीवन चल रहा है //८ //
डॉ उदयभानु तिवारी" मधुकर "
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