प्रजातंत्र
प्रजातंत्र मंत्र भूला आज सारा नेतातंत्र
शहीदों की आभा छुप के रोवे राजघाट में
ईमान धर्म वाले परवानन की ज्योति गई
बेईमानी डोली चढ़ के घूमें हॉट ठाट में
धर्मवीर ध्वजा को उड़ावें रे बजाय गाल
धर्मवीर डूबे जा दरिद्रता के घाट में
नेम औ आचार तो हिरानो दुराचार बीच
भ्रष्टाचार छाया देखो आज हॉट बाट में //१//
योग्यता के कद्रदान दिखें नहीं आज कोई
दया भी है भूल गई दौलत की मार में
देश कर्णधार नेताओं में आज होड़ लगी
रामराज्य कल्पना का बाँध बहो धार में
एक सूत्र पाँच सूत्र कोई कहें बीस सूत्र
राह के किनारे देखो खड़े हैं कतार में
गर्म है बाजार गाँव शहर कर्जदार
भये बैंक साहूकार कारोबार सब उधार में //२//
दीन औ गरीबन का आज भी है हाल वही
कितनों के फूल खिल के मुरझाये हैं डार में
होवे न यकीन तो मैं चल के दिखाऊं तुम्हें
कष्टों में भी पैसा माँगे मिले न उधार में
रोजी रोटी की तो चिंता सबको सतावे आज
कृषकों की नैया अभी पड़ी मझधार में
प्रकृति का कोप कहीं दैविक प्रकोप देखो
मध्य वर्ग टूट रहा मंहगाई की मार में //३//
डॉ उदयभानु तिवारी "मधुकर"
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