Thursday, 27 October 2011

भारतीय जागिये


            भारतीय जागिये 

जागिये स्वतंत्र भारतीय बन्धु जागिये /
भ्रष्ट तंत्र की जड़ों को मूल से उखारिये  //

बिक रहा   ईमान   बेईमान हैं   गली   गली
झूठ,छल, फरेब, द्वेष-भावना   लहर    चली
विलम्ब न्याय से भटक रही प्रजा गली गली
राष्ट्र राज नीत  वोट   नितियों   में   है  ढली

जन बलों में जागरण की   भावना  उतारिये
भ्रष्ट तंत्र '''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''//१//

गरीब की पुकार कौन सुन रहे गुहार में
समर्थ वान लाभ ले रहे   खड़े  कतार में
लक्ष्मी के  पूत लिप्त अनीति के बजार में
सरस्वती के  पुत्र ज्ञान  बाँटते उधार  में

योग्य  व्यक्ति को समर्थ पदों पै सँवारिए
भ्रष्ट्र तंत्र '''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''//२//

क्या यही था स्वप्न अपने देश के स्वराज्य का
कह रही   है दास्ताँ   दबी  जुबान    राज्य का
होरहा है फैसला   हो लक्ष्मी   से     भाग्य का 
भ्रष्ट कर्म ;आचरण है   अंग    शिष्टाचार    का

भ्रष्ट  कर्मियों   को  ऐसे  पदों      से   उतारिये
भ्रष्ट तंत्र ''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''//३//

बाईविल पढ़ो कुरान या कोई पुराण हो
धर्म हों अनेक देश एकता का गान हो
भारतीय  हैं सभी अखंड हिंद शान हो
ईश एक है अनेक साधकों का गान हो

वर्ग भेद भाव ज्ञान ध्यान से निकारिये 
भ्रष्ट  तंत्र ''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''//४//

हो गये शहीद उनकी देखती है आत्मा
पञ्च परमेश्वरों  के  बीच   में महात्मा
होगये हैं मौन रो  रही   है   अंतरात्मा
बिक रहे हैं लोग देखती हैं संत आत्मा

सत्य को करो प्रगट नकाब को उतारिये
भ्रष्ट तंत्र ''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''//५//   

No comments:

Post a Comment