श्रंगार गीत
फूल गए फूल अहो ताल औ तमालन में /
अरुड़ाई झलक रही मौसम के गालन में //
जंगल पहारन में तरुवर की डारन में
सतरंगी चूनर से रंग भरे हारन में
सकुचाईं कलियाँ झुकीं लाज भारन में
घूँघट पट खोल भ्रंग नाच रहे डारन में
फूल गये ''''''''''''''''''''''''''''''
कानों की बाली में होंठों की लाली में
छलक रही मादकता मधुरस की प्याली में
फूलन के गजरन में नैनन के कजरन में
उलझे हें भौंरे हो बालन के जालन में
फूल गये ''''''''''''''''''''''''''''''
बारी उमरिया में लाली चुनरिया में
नैनों की निंदिया सिराय गयी बिंदिया में
झंझा के झोकों से घूँघट की ओटों से
बालों की एक लट आय गई गालन में
फूल गये ''''''''''''''''''''''''''''''
पायल की झुन झुन में चली जात कुंजन में
चंचल सी चितवन उलझाय गई जालन में
गुलवदनी पुष्प चुने ,मन ''मधुकर''गीत गुने
लख के मुस्कान सुमन ,विकस रहे डालन में
फूल गये ''''''''''''''''''''''''''''''

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