Wednesday, 19 October 2011

बसंत आगमन


                         बसंत आगमन
ऋतु बसंत का हुआ आगमन चमन चमन मुस्काया रे /
उदासीन जीवन में भी यह नव  उमंग  भर   लाया  रे//

नव चेतन स्फूर्ति प्रदायक अमृत  रस घट  भर  लाया
सुरभित सुमन सुगंध सुहानी लिए धरातल पर आया
महक उठे घर बाग़ बगीचे  सतरंगी  इसकी     काया
यौवन मन हो रहे विमोहित चंचलता   ने    उकसाया

राग बसंती सा कलरव जन जन   के   मन  को भाया रे
ऋतु बसंत  '''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''  //१//

स्वागत में सब तरुवर ने भी  पहिने पल्लव   नये  नये
प्रकृति करे श्रंगार धरा का प्रभा  रंग   साकार     भये
पवन झूम चलती इठलाती गुण   प्रगटे  उपहार   लये
मनहारी इस छवि के सम्मुख चित्रकार  सब  हार गये

घुली पवन में  गंध   संदेशा   भौरों   ने   यह   पाया  रे/
ऋतु बसंत ''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''//२//

चमन हुए  गुलजार लताएँ झूम  रहीं   बनकर   माला
दुल्हन सी सज गई धरा ; कंदर्प  हुआ   है    मतवाला
पुष्प परागों में अलि झूमें   कलियों   ने   जादू   डाला
हर तितली के पंख नशीले  हुए  गई  जो    मधु शाला

ले  अलबेले  रंग  फाग  में   होली   खेलन   आया   रे /
ऋतु बसंत ''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''//३//

टेसू   केशर   रंग  नहाये   तरु   रसाल   रस    छलकाएं
"मधुकर" कुसुम कपोल जुठारें लख सब कलियाँ सकुचाएं
सरसों से  तरुनाई   झाँके   लता    निहारें         शाखाएं
सेमर तरु बोगन बिलियाँ  छवि देख  मुसाफिर  विलमाऍ

सेवंती    गुलवदन   सँवारें   समाँ    सुहावन    आया    रे /
ऋतु बसंत ''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''//४//

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