प्रीति न हरि में जागे लगन बिना /
भटकें जीव अभागे भजन बिना //
जब अज्ञान तिमिर छा जाये /
दैहिक दैविक सुख़ मन भाये //
नहिं हरि में अनुरागे ,भजन बिना /
प्रीति -------------------------------//१//
नहीं इन्द्रियाँ वश में जिनके /
मन में शान्ति न आये उनके //
भौतिक सुख हित भागे,भजन बिना /
प्रीति ---------------------------------//२//
सारे भव सुख़ दुख का कारण /
तन ,मन , वाणी के तप तारन //
मन आसक्ति न त्यागे भजन बिना /
प्रीति -------------------------------//३//
"मधुकर " प्रभु में ध्यान लगाओ /
ॐ जाप धुन में रम जाओ //
ज्ञान की ज्योति न जागे भजन बिना /
प्रति ----------------------------------//४//
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