Saturday, 10 December 2011

प्रीति न हरि में जागे लगन बिना

प्रीति  न  हरि  में जागे लगन बिना /
भटकें   जीव  अभागे  भजन बिना //

जब   अज्ञान   तिमिर   छा  जाये /
दैहिक  दैविक   सुख़   मन   भाये //
नहिं हरि में अनुरागे ,भजन बिना /
प्रीति -------------------------------//१//

नहीं   इन्द्रियाँ   वश   में    जिनके /
मन   में   शान्ति   न  आये   उनके //
भौतिक सुख हित भागे,भजन बिना /
प्रीति ---------------------------------//२//

सारे  भव  सुख़  दुख  का   कारण /
तन  ,मन  , वाणी  के  तप  तारन //
मन आसक्ति न त्यागे भजन बिना /
प्रीति -------------------------------//३//

"मधुकर " प्रभु   में   ध्यान   लगाओ /
ॐ   जाप    धुन    में    रम    जाओ //
ज्ञान की ज्योति न जागे भजन बिना /
प्रति ----------------------------------//४//   

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