बन्दे सुनले हरि उपदेश
बन्दे सुनले हरि उपदेश /
जिसके सुने मिटें भ्रम क्लेश //
सर्वरूप स्थित ,अविनाशी , निराकार ,अविकारी /
जगत व्याप्त अक्षर,जगपालक वही ब्रह्म अवतारी //
सगुण रूप देवों का धारे यह प्रभु का सन्देश /
बन्दे ----------------------------------------------//१//
जिस स्वरुप का ध्यान करे नर मैं ही वह बन जाऊं /
उस श्रद्धा से युक्त पुरुष को वही रूप दिखलाऊं //
गीता में अर्जुन से बोले वासुदेव योगेश /
बन्दे ---------------------------------------------//२//
मेरे जिस साकार रूप में भक्त पुरुष रम जाते /
वे उस स्वरुप को भजकर स्वर्ग लोक सुख़ पाते //
वे आसक्त स्वर्ग -सुख़ पाकर पुनि लौटें निज देश /
बन्दे ----------------------------------------------//३//
तज आसक्ति योग स्थित हो निगुण रूप जो ध्याते/
सिद्धि प्राप्त कर ऐसे योगी पुनर्जन्म नहिं पाते //
"मधुकर" निर्गुण रूप भजे जो हो जाये अखिलेश /
बन्दे -----------------------------------------------//४//
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