साधो जीवन बहता पानी /
निश्छल निर्मल कल कल ध्वनि में,रमे ब्रह्म के ध्यानी /
बूँद सिन्धु से जब मिल जाये वह सागर कहलाये /
लहरें बन कर लेत हिलोरें थाह न कोई पाये //
विलग सिन्धु से हुआ द्वेत गति पाये आणि जानी /
साधो -----------------------------------------------------//१//
निर्मल सलिल बूँद बन निकले स्रोत करे अगवानी /
पल पल छिन छिन बहता जाये निश्छल रहित अमानी //
गंगा सी पवन जलधारा सौम्य , सुखद , रसखानी /
साधो --------------------------------------------------------//२//
माया के घन जब झुक बरसें हो ढाबर फिर पानी /
निज सीमायें लाँघ चले ठगनी माया लपटानी //
होकर छुद्र ,वक्र गति पाये छलके अति अभिमानी /
साधो -----------------------------------------------------//३//
चलते चलते जब सरिता की अगम धार पा जाये /
मिटे अहं हो शांत सरित में जब सम्पूर्ण समाये //
"मधुकर"गूढ़ भेद जो जाने हो जाये वह ज्ञानी /
साधो ------------------------------------------------//४//
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