लगन योगी मन की भुवन नहिं जाने /
माया की नगरी में फिरत भुलाने //
ईश ध्यान की बरसे बदरिया /
भर भर छलके नैन गगरिया //
सावन संगीत लगा मन को रिझाने /
लगन ------------------------------//१//
पवन शांत हो विजन डुलाये
दामिनि जगमग ज्योति दिखाये
नाचे मयूर घन लगे घहराने
लगन --------------------------//२//
सब जग सोये योगी जागे /
यज्ञ करे भव आश्रय त्यागे //
"मधुकर"वैरागी मन लगा गुनगुनाने /
लगन --------------------------------//३//
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