चाहे ॐ राम जपो,श्रीकृष्ण , श्याम रे /
व्यापक सर्वत्र वही शिवम् परम धाम रे //
बहुनामी भक्ति तजो एक नाम जाप करो /
एक इष्टदेव पूज भाव के सब ताप हरो //
आशक्ति त्याग जपो एक हरि:नाम रे /
चाहे ॐ राम -----------------------------//१//
रूपों की भीर नही प्रभु से मिलावे /
नहीं जन्म म्रत्यु बन्ध फन्द काट पावे //
स्वार्थ त्याग भक्ति करो मन हो निष्काम रे /
चाहे ॐ राम --------------------------------//२//
करके निज चक्षु बन्द ध्यान जो लगाओ /
निर्गुण परब्रह्म दिव्य ज्योति देख पाओ //
वही इष्टदेव एक भिन्न -भिन्न नाम रे /
चाहे ॐ राम --------------------------//३//
निज गुरु की शरण गहो निर्झरिणी बने बहो /
करके कर्तव्य कर्म प्रभु में ही लींन रहो //
"मधुकर"हिय में ही नाम रूप चार धाम रे /
चाहे ॐ राम ------------------------------//४//
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