Tuesday, 6 December 2011

बन्दे जग का मालिक एक

                 बन्दे जग का मालिक एक 

                बन्दे जग का मालिक एक 
                जिसके  रूप    अनेकानेक 

जो मंदिर ,मस्जिद  ,गुरुद्वारा   ,गिरिजाघर  में जाते 
भिन्न -भिन्न भावों से प्रेरित   होकर  अलख जगाते 
घट- घटवासी उस मालिक की  छवि सब लखें अनेक 
बन्दे ------------------------------------------------//१//

कोई विष्णु रूप को ध्याये ,कोई राम नाम गुण गाये /
कोई श्री कृष्ण में रमकर आत्मतत्त्व ग्यानी हो जाये //
निर्गुण ब्रह्म सगुण बन  बन कर   रखे  भक्त  की टेक /
बन्दे --------------------------------------------------//२//

जिस  श्रद्धा से  युक्त पुरुष  हो  वही रूप   वह ध्याये /
पूर्व   कर्मफल   पर  आधारित  संस्कार  नर  पाये //
जाने गूढ़  भेद  यह  सारा  सूक्ष्म   बुद्धि   सविवेक /
बन्दे -----------------------------------------------//३//

बड़े भाग्य से मानव देही  कर्म   योनि    मिल  पाये/
और अन्य सब देव लोक तक भोग योनि कहलाये //
कह साईं हिय आसन में कर निगुण ब्रह्म अभिषेक /
बन्दे ----------------------------------------------//४//

बहु रूपों की माया में जग उलझ  उलझ   रह  जाये /
निर्गुण को भज ,त्याग कामना ,मुक्ति जन्म से पाये //
"मधुकर" बीता  जाये  जीवन भजन  कर्म  कर नेक /
बन्दे -------------------------------------------------------//५//

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