बन्दे जग का मालिक एक
बन्दे जग का मालिक एक
जिसके रूप अनेकानेक
जो मंदिर ,मस्जिद ,गुरुद्वारा ,गिरिजाघर में जाते
भिन्न -भिन्न भावों से प्रेरित होकर अलख जगाते
घट- घटवासी उस मालिक की छवि सब लखें अनेक
बन्दे ------------------------------------------------//१//
कोई विष्णु रूप को ध्याये ,कोई राम नाम गुण गाये /
कोई श्री कृष्ण में रमकर आत्मतत्त्व ग्यानी हो जाये //
निर्गुण ब्रह्म सगुण बन बन कर रखे भक्त की टेक /
बन्दे --------------------------------------------------//२//
जिस श्रद्धा से युक्त पुरुष हो वही रूप वह ध्याये /
पूर्व कर्मफल पर आधारित संस्कार नर पाये //
जाने गूढ़ भेद यह सारा सूक्ष्म बुद्धि सविवेक /
बन्दे -----------------------------------------------//३//
बड़े भाग्य से मानव देही कर्म योनि मिल पाये/
और अन्य सब देव लोक तक भोग योनि कहलाये //
कह साईं हिय आसन में कर निगुण ब्रह्म अभिषेक /
बन्दे ----------------------------------------------//४//
बहु रूपों की माया में जग उलझ उलझ रह जाये /
निर्गुण को भज ,त्याग कामना ,मुक्ति जन्म से पाये //
"मधुकर" बीता जाये जीवन भजन कर्म कर नेक /
बन्दे -------------------------------------------------------//५//
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