Tuesday, 6 December 2011

कर्म किये जा

कर्म किये जा फल में तेरा है अधिकार नहीं प्राणी 

कर्म किये जा फल में तेरा है अधिकार नहीं प्राणी / 
कर्मों का फल मैं देता हूँ ऐसी  सदगुरु  की वाणी //

कर्म न करने  में  भी  अर्जुन  इस  तन  का  उद्धार नहीं /
कर्म यज्ञ कर सब फल तज कर मन चाहे प्रतिकार नहीं //
तो प्रति फल  में  मैं  मिलजाऊं ,करना  मेरी  अगवानी /
कर्म -----------------------------------------------------//१//

सर्व कर्म फल मुझे समर्पित  कर  देते  जो  नर  ज्ञानी/
उन  मुमुक्षु  की  रक्षा  करता  हूँ  नहि  जाने  अज्ञानी //
हे  अर्जुन  माया  में  मेरी  सब  की  मति है भरमानी /
कर्म ----------------------------------------------------//२//

मैं निर्गुण हूँ किन्तु भक्ति में  सगुण रूप निज प्रगटाता /
सदगुरु बनकर मार्ग दिखाऊँ पार्थ शरण जो आ जाता //
"मधुकर" वे भव सिन्धु उतारें गीता है जिनकी  वाणी /
कर्म -----------------------------------------------------//३//

No comments:

Post a Comment