Tuesday, 6 December 2011

ये तन बसन तेरी आत्मा का प्राणी

           ये तन बसन तेरी आत्मा का प्राणी 

ये तन बसन तेरी आत्मा का प्राणी /
तजे जीव  देह ,देख  जर्जर  पुरानी //

वस्त्रों की जगमग में दुनियाँ दीवानी /
आत्मा को देखे जो ,वही ब्रह्म ग्यानी //
रहे  नित्य  काया न  इसकी जवानी /
ये तन -----------------------------//१//

आत्मा न  मारे औ  मारी  न  जाये /
आग न जलाये इसे पवन न सुखाये //
छेदे न  कोई  इसे  कहें  ब्रह्म ग्यानी /
ये तन -----------------------------//२//

आतप  औ  शीत  दु;ख , सुख़ के  नजारे /
उपजत  हैं इंद्रिन से  ,विषय  भोग  सारे //
व्यापें नहि भुवन ताप,उसे जो हैं ध्यानी /
ये तन ---------------------------------- //३//

आत्मा सनातन औ दिव्य सर्व व्यापी /
जाने   न  मूरख   अज्ञानी    प्रलापी //
"मधुकर"जग नश्वर में मति भरमानी/
ये तन ---------------------------------//४//

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