ये तन बसन तेरी आत्मा का प्राणी
ये तन बसन तेरी आत्मा का प्राणी /
तजे जीव देह ,देख जर्जर पुरानी //
वस्त्रों की जगमग में दुनियाँ दीवानी /
आत्मा को देखे जो ,वही ब्रह्म ग्यानी //
रहे नित्य काया न इसकी जवानी /
ये तन -----------------------------//१//
आत्मा न मारे औ मारी न जाये /
आग न जलाये इसे पवन न सुखाये //
छेदे न कोई इसे कहें ब्रह्म ग्यानी /
ये तन -----------------------------//२//
आतप औ शीत दु;ख , सुख़ के नजारे /
उपजत हैं इंद्रिन से ,विषय भोग सारे //
व्यापें नहि भुवन ताप,उसे जो हैं ध्यानी /
ये तन ---------------------------------- //३//
आत्मा सनातन औ दिव्य सर्व व्यापी /
जाने न मूरख अज्ञानी प्रलापी //
"मधुकर"जग नश्वर में मति भरमानी/
ये तन ---------------------------------//४//
No comments:
Post a Comment