आत्मा हरि प्रतिबिम्ब दिखाये
आत्मा हरि प्रतिबिम्ब दिखाये /
जब मन आत्म लींन हो जाये //
ब्रह्म अंश आत्मा अविनाशी /
जगत नियंता हिय का वासी //
दृष्टि देख नहिं पाये /
आत्मा ----------------------//१//
यह यथार्थ दृष्टा परमेश्वर /
भटके जग में धर तन नश्वर //
गुण जब मनहिं रमाये /
आत्मा -------------------//२//
जीव रूप में सब रस भोगी /
सम्मतिदाता, स्वामि ,योगी //
यही पुरुष कहलाये /
आत्मा ----------------------//३//
योग सिद्ध जिसका हो जाये /
वह अमरतत्व परमपद पाये //
मधुकर ब्रह्म कहाये /
आत्मा ----------------------//४//
No comments:
Post a Comment