Tuesday, 6 December 2011

सखी री मोरे सैयाँ खड़े है उस पार

सखी री मोरे सैयाँ खड़े हैं उस पर /
खड़े है उसपार रहे   डगर  निहार //

कर्तव्यों की डोर न छूटे ,जानत हूँ सब नाते झूठे /
जी  भरमाये  समझ  न  आये  नैन  बहाये  धार //
सखी री -----------------------------------------------//१//

गहरा सागर थाह न पाऊं जाऊं अकेले तो घबराऊं /
रागिनी  मेरी   नाव  है   बनजा  तू  मेरी  पतवार //
सखी री ------------------------------------------------//२//

पिया पुकारें राह निहारें,पुष्पित हुईं लता,तरु डारें /  
मधुकर के सँग राही बन जा चल करदे उस  पार //
सखी री ----------------------------------------------//३//

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