ब्रज की गली गली में शोर
ब्रज की गली गली में शोर /
नाचें राधा नन्द किशोर //
वृन्दावन में नन्द के छैया जब जब रचाते /
राधा और गोपियों को बंसी में टेर बुलाते //
सुन बंसी धुन जायँ गोपियाँ सब मधुवन की ओर /
नाचें ------------------------------------------------ -//१//
घिरे गोपियों बीच बजायें बंसी कृष्ण कन्हैया /
झूम झूम अनुरागी सखियाँ नाचें ताता थैया //
मनमोहन की राग मोहिनी खींचे मन की डोर /
नाचें -------------------------------------------------//२//
खग मृग वृन्द तान में में मोहे ,मोहे ब्रज के वासी /
सुध बुध भूल एकटक देखें रहीं जो अखियाँ प्यासी //
ब्रह्म सच्चिदानंद चन्द्र छवि के सब भये चकोर /
नाचें ------------------------------------------------//३//
चले देव गण लीला देखन पंछी बन बन आये /
भेद न कोई जाने ,योगी देखें ध्यान लगाये //
हर गोपी के संग नाचते कृष्ण दिखें सब ओर /
नाचें ---------------------------------------------//४//
पंछी बने देवगण नाचें गई देह सुधि भूल /
पुष्पित हुईं लता तरु शाखा देख समय अनुकूल //
मधुकर बासंती ऋतु आई करती भव विभोर /
नाचें ------------------------------------------------//५//
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