दोहा - दुष्टदलन संकटहरण, मंगल मूर्ति गणेश /
करूँ अर्चना आरती , हिय धरि गौरि महेश //
चौ -जय जय जय गणपति जगवंदन /जय जय पार्वती शिव नन्दन //
हे जग त्राता कर तव वन्दन / लेकर सुमन करूँ अभिनन्दन //
लिये थाल में तंदुल श्रीफल / कुंकुम ,दूब , पान पुंगीफल //
कर आवाहन कलश जलाऊँ / अक्षत पुष्प सुगंध चढाऊँ //
हे मंगलमय मूरति आओ / ज्ञानप्रकाश किरण फैलाओ //
शीश मुकुट गल माला डारे / शंख परसु सोहत कर धारे //
वक्र तुण्ड गजवदन विनायक / बुद्धि विधाता हे गणनायक //
मोदक प्रिय पीताम्बर धारी / एकदन्त संतन हितकारी //
यज्ञोपवीतं भाल विशालं / मूसक वाहन जगत निरालं //
महाबलं दैवं देवेशं / नमो नमो ऋण मुक्ति गणेशं //
दोहा - आदि ब्रह्म जग व्याप्त तुम,गिरिजा मातु निकेत /
विघ्न विनाशक रूप धर , प्रगटे जग के हेत //
चौ -संतति सुख़ के भाग्य विधाता / दृष्टिहीन के दृष्टि प्रदाता //
चारभुजाधारी अखिलेश्वर / दयावंत जय जय लम्बोदर //
दुख दरिद्र अरु संशय हर्ता / रिद्धि सिद्धि के प्रभु तुम भर्ता //
शुभ अरु लाभ दाहिने बायें / कर स्तुति सुर शीश झुकायें //
प्रभु ओंकार परिक्रमा कीन्हा / देव अग्रणी त्रिभुवन चीन्हा //
सब देवों में प्रथम तुम्हारी / पूजा होवे सबसे न्यारी //
विघ्न विनाशक हे गणराजा / विद्यावारिधि हिय में आजा //
वरद हस्त निज मम शिर धारो/ महासेतु भवसागर तारो //
माँ गिरिजा सुत आज्ञाकारी / नाम तुम्हार तापत्रय हारी //
जो पूजन अर्चन कर ध्यावे / मन वांछित तुमसे वर पावे //
अगर पुष्प सिन्दूर चढाऊँ /हाथ लेखनी लिये बुलाऊँ //
तनस्थित हो बुद्धि जगाओ / वाणी में माँ शारद लाओ //
काव्य कुञ्ज के सुमन सुहाये/मधुकर झूम झूम रस पाये //
हिय उपवन को सुरभित कीजै / तत्व् ज्ञान रस से भर दीजै //
दो - कर जोरे वन्दन करूँ , हरहु विघ्न भ्रम क्लेश /
मधुकर के हिय कुञ्ज में, बसहु आय अखिलेश //
डॉ उदय भानु तिवारी "मधुकर "
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